सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में 13 दोषियों को तत्काल जेल से रिहा करने की मांग की है. दरअसल, इन सभी दोषियों को अपराध के वक्त नाबालिग घोषित किया जा चुका है. फिलहाल ये सभी अगर सेंट्रल जेल में खूंखार अपराधियों के साथ बंद है. वकील ऋषि मल्होत्रा के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया कि 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद किशोर न्याय बोर्ड को कैदियों की किशोरावस्था से संबंधित आवेदनों का निपटारा करने के निर्देश दिए गए थे. इसके बाद सभी 13 याचिकाकर्ताओं को अपराध किए जाने के समय किशोर घोषित किया गया था. यानी बोर्ड ने पाया कि अपराध के समय इन सभी की आयु 18 वर्ष से कम थी.
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याचिका में कहा गया है कि किशोर न्याय बोर्ड की ओर से फरवरी 2017 से इस साल मार्च के बीच याचिकाकर्ताओं को किशोर घोषित करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद इन सभी को रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया.
साथ ही यह भी ध्यान देने का बात कही गई है कि बोर्ड के इन फैसलों को चुनौती भी नहीं दी गई. याचिका में कहा है कि यह उत्तर प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक स्थिति को दर्शाता है. इससे भी दुखद पहलू यह हैं कि आगरा सेंट्रल जेल में बंद ये याचिकाकर्ता 14 साल से 22 साल तक जेल में गुजार चुके हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि 13 मामलों में से अधिकतर की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील लंबित हैं. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में उचित निर्देश पारित कर इन सभी याचिकाकर्ताओं को तत्काल रिहा करने की मांग की गई है.
HIGHLIGHTS
- सभी 13 याचिकाकर्ताओं को अपराध किए जाने के समय किशोर घोषित किया गया था
- आगरा सेंट्रल जेल में बंद ये याचिकाकर्ता 14 साल से 22 साल तक जेल में गुजार चुके हैं
- 13 मामलों में से अधिकतर की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील लंबित हैं