देश में पहली बार दिल्ली रोबोटिक्स लीग और एचई-21 की शुरूआत की गई है। दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय इस लीग में 38 स्कूलों की 68 टीमें हिस्सा ले रहीं हैं। इस दौरान रोबो कंचा थीम पर छात्रों ने मॉडल पेश किए और सात एचई-21 स्कूलों के 90 छात्रों ने अपने 26 प्रोजेक्ट्स प्रस्तुत किए।
छात्रों द्वारा डिजाइन किया गया इलेक्ट्रिसिटी सेविंग मोबाइल एप ऊर्जा खपत पर विस्तृत जानकारी देने में मदद करता है। रियल टाइम मॉनिटरिंग, पर्सनल रिकमेंडक्शन और एनर्जी सेविंग के लिए टिप्स भी देता है। वही कुछ छात्रों ने स्मार्ट एआई वाला चश्मा बनाया है यह एक ऐसा चश्मा है, जो फेस ब्लाइंडनेस की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लोगों की मदद के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये चश्मा यूजर के सामने खड़े किसी भी व्यक्ति के फेस को पहचान सकता हैं और ब्लूटूथ इयरफोन के माध्यम से यूजर का नाम बता सकते हैं।
छात्रों की एक टीम ने वॉयस एक्टिवेटेड व्हीलचेयर है। इसे दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि एक समावेशी समाज बन सके। वहीं एक अन्य टीम ने फायर फाइटिंग बॉट बनाई है जो ऑटोमेटिक काम करने वाले बॉट आग का पता लगाने और उसे बुझाने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं। इसका उद्देश्य आग की दुर्घटनाओं को रोकना और सुरक्षित शहरी स्थान बनाना है। बच्चों द्वारा बनाए गए एक प्रोडक्ट में किसान को अपनी जमीन में कितनी सिंचाई करनी है, उसके बारे में बताया गया है। किसान कई बार ज्यादा पानी डाल देता है, उससे फसल भी खराब हो जाती है। कम पानी डालता है, वो भी ठीक नहीं है। बच्चों ने अपने इस प्रोडक्ट में मिट्टी के अंदर जगह-जगह सेंसर लगाए हुए हैं। मिट्टी को जितनी आर्द्रता चाहिए, उतना ही पानी फसल को देते हैं।
लीग का उद्घाटन कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लीग में हिस्सा ले रहे बच्चों ने बहुत ही शानदार प्रोडक्ट बनाए हैं। हमारे समय में इस तरह के प्रोडक्ट बनाने के बारे हम सोच भी नहीं सकते थे। इन बच्चों ने अपने इनोवेशन के जरिए रोजमर्रा की जिंदगी से संबंधित समस्याओं का समाधान तकनीक के जरिए निकाला है। केजरीवाल ने कहा कि पूरे देश में शायद पहली बार दिल्ली में स्कूल स्तर पर रोबोटिक्स के क्षेत्र में कंपटिशन करने के बाद स्टेट स्तर पर कंपटिशन किया जा रहा है। इस तरह की उच्च स्तर की प्रतियोगिता देश में कहीं नहीं की गई। इसमें भाग लेने वाले स्कूल हैं। इस प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस (एसओएसई) के स्कूल हैं।
सीएम ने कहा, ’’मैं आईआईटी खड़गपुर पढ़ने के लिए गया। मेरी ब्रांच मैकेनिकल इंजीनियरिंग थी। सेकेंड इयर करने के बाद गर्मियों की छुट्टियां थीं। छुट्टियों में मैं अपने गांव गया। गांव में मेरे दादा जी ने खराब पड़े पंखे को ठीक करने के लिए कहा। मैने कहा कि मुझे ठीक करना नहीं आता है। तब दादा जी ने कहा कि तुम तो आईआईटी कर रहे हो। फिर भी पंखा ठीक करने नहीं आता है। उस दौरान मुझे यह लगने लगा कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से बिल्कुल कटी हुई है। हमारी जिंदगी की समस्याएं कुछ और हैं और स्कूल-कॉलेज में कुछ और ही पढ़ाया जाता है। रोबो कंचा की थीम पर छात्रों ने दिल्ली रोबोटिक्स लीग में मॉडल पेश किए हैं। कंचा’ भारत में एक पारंपरिक खेल के तौर पर खेला जाता रहा है, जिसे ज्यादातर बच्चे व सभी उम्र के लोग मनोरंजन के लिए खेलते हैं।’’
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Source : IANS