राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश के लचीलेपन की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने दूसरों के लिए आशा की किरण के रूप में भी काम किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है और उच्च जीडीपी वृद्धि दर्ज की है।
उन्होंने जी-20 नेता के रूप में देश की भूमिका का भी हवाला दिया।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण की ओर इशारा करते हुए शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति पर भी बात की।
उन्होंने कहा, चूंकि जी-20 दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, यह वैश्विक चर्चा को सही दिशा में आकार देने में मदद करने का एक अनूठा अवसर है। जी-20 की अध्यक्षता के साथ भारत व्यापार और वित्त में समान प्रगति की दिशा में निर्णय लेने में मदद कर सकता है। व्यापार और वित्त के अलावा, मानव विकास के मामले भी एजेंडे में हैं।
राष्ट्रपति ने कहा : ऐसे कई वैश्विक मुद्दे हैं, जो पूरी मानवता से संबंधित हैं और भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। मुझे विश्वास है कि वैश्विक मुद्दों से निपटने में भारत के सिद्ध नेतृत्व के साथ सदस्य-राष्ट्र इन मोर्चों पर प्रभावी कार्रवाई को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे।
उन्होंने कहा, जी-20 की भारत की अध्यक्षता में जो बात उल्लेखनीय है, वह यह है कि जिस तरह से इस राजनयिक गतिविधि को जमीनी स्तर तक ले जाया गया है, लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तरह का पहला अभियान चलाया गया है। यह देखना सुखद है।
राष्ट्रपति ने कहा, जी-20 के विषयों पर स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित विविध प्रतियोगिताओं में छात्र उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। सभी नागरिक जी-20 से संबंधित कार्यक्रमों को लेकर उत्साहित हैं।
राष्ट्रपति ने कहा, वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है, लेकिन भारत में सरकार और रिज़र्व बैंक इस पर काबू पाने में कामयाब रहे हैं। सरकार आम लोगों को उच्च मुद्रास्फीति से बचाने में सफल रही है, साथ ही गरीबों को अधिक व्यापक सुरक्षा कवर भी प्रदान कर रही है। वैश्विक आर्थिक विकास के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है। निरंतर आर्थिक प्रगति दोतरफा रणनीति से प्रेरित है।
उन्होंने कहा कि एक ओर व्यवसाय करना आसान बनाकर और नौकरी के अवसर पैदा करके उद्यम की शक्तियों को उजागर करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। दूसरी ओर, विभिन्न क्षेत्रों में जरूरतमंदों के लिए सक्रिय और विस्तारित कल्याण पहल की गई है।
दौपदी ने कहा, वंचितों को प्राथमिकता देना हमारी नीतियों और कार्यों का केंद्रबिंदु है, जिसने पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रचलित मुद्दे पर बात करते हुए कहा, चरम मौसम की घटनाएं सभी को प्रभावित करती हैं। लेकिन उनका प्रभाव गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर कहीं अधिक गंभीर होता है। शहरों और पहाड़ी इलाकों को विशेष रूप से अधिक लचीला बनाने की आवश्यकता है। यहां बड़ी बात यह है कि क्या लालच की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर ले जाती है। अब हमें अपनी जड़ों की ओर लौटने की सख्त जरूरत महसूस हो रही है। मैं जानती हूं कि अभी भी कई आदिवासी समुदाय हैं जो प्रकृति के बहुत करीब और उसके साथ सामंजस्य बनाकर रहते हैं। उनके मूल्य और जीवनशैली जलवायु कार्रवाई के लिए अमूल्य सबक प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों के सदियों से जीवित रहने के रहस्य को एक शब्द में संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है। वह एक शब्द है सहानुभूति।
राष्ट्रपति ने कहा कि वे प्रकृति के सभी साथी बच्चों, वनस्पतियों और जीवों के प्रति समान रूप से सहानुभूति रखते हैं। हालांकि, कभी-कभी दुनिया सहानुभूति की कमी से पीड़ित लगती है। राष्ट्रपति ने कहा, लेकिन इतिहास बताता है कि ऐसे दौर केवल विपथन हैं और दयालुता हमारा मूल स्वभाव है।
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Source : IANS