पंजाब की राजनीति में मचे बवाल पर केंद्र सरकार ने पक्ष रखा, गृह मंत्रालय बोला-अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया

गृह मंत्रालय ने साफ किया कि आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस मामले में किसी तरह के बिल लाने की कोई मंशा नहीं है.

गृह मंत्रालय ने साफ किया कि आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस मामले में किसी तरह के बिल लाने की कोई मंशा नहीं है.

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Mohit Saxena
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चंडीगढ़ को लेकर पंजाब की राजनीति में बवाल खड़ा हो गया है. इस मामले में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष सामने रखना है. गृह मंत्रालय ने रविवार को अधिकारिक रूप से कहा कि चंडीगढ़ के लिए सिर्फ केंद्र सरकार की ओर से कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी विचाराधीन स्थिति में है. इस पर किसी तरह का अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. मंत्रालय ने साफ किया कि आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस मामले में किसी तरह के बिल लाने की कोई मंशा नहीं है. 

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मामले में चिंता की जरूरत नहीं 

गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है ​कि इस प्रस्ताव के माध्यम से चंडीगढ़ की शासन व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव करने या पंजाब और हरियाणा के साथ उसके पारंपरिक रिश्तों को प्रभावित करने की बात नहीं कही गई है. मंत्रालय ने लोगों से अपील की इस मामले में चिंता की जरूरत नहीं है. चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखकर सभी  हितधारकों से व्यापक चर्चा होने के बाद ही किसी तरह का फैसला लिया जाएगा. 

क्या है विवाद?

इस मामले में पहले खबर थी कि केंद्र सरकार ने एक प्रस्ताव रखा है कि चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240  के दायरे में शामिल किया जाएगा. अनुच्छेद 240 के तहत राष्ट्रपति को ऐसा अधिकार होता है कि वह केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सीधे नियम और कानून तय कर सके. 

स्वतंत्र प्रशासक को नियुक्त किया जा सकेगा

ऐसे आरोप भी सामने आए है कि लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन में जानकारी देकर बताया गया कि सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (1 दिसंबर से शुरू) में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025 को पेश करने वाली है. ऐसा कहा गया कि अगर ये बिल अपने मौजूदा रूप में पास होता है तो संभावना है कि चंडीगढ़ के लिए एक स्वतंत्र प्रशासक को नियुक्त किया जा सकेगा. इस तरह पहले यहां स्वतंत्र मुख्य सचिव होते थे. 

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