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इसरो के निसार मिशन की लॉन्चिंग आज Photograph: (ISRO)
NISAR Launching: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बुधवार को अंतरिक्ष में एक और इतिहास रच दिया है. इसरो 30 जुलाई की शाम आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से नासा-इसरो के संयुक्त निसार मिशन को लॉन्च कर चुका है. इस उपग्रह को जीएसएलवी-एफ 16 रॉकेट से लॉन्च किया गया है. यह उपग्रह पृथ्वी पर नजर रखने का काम करेगा. जिसे निसार नाम दिया गया है जो एक सिंथेटिक अपर्चर रडार है. इस उपग्रह को इसरो सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करेगा.
निसार सैटेलाइट के लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू
इसरो ने अपने इस महत्वाकांक्षी मिशन के लिए 27.30 घंटे पहले यानी मंगलवार दोपहर 2.10 बजे काउंटडाउन शुरू कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसरो ने कहा है कि GSLV-F16 रॉकेट निसार को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए तैयार है.
GSLV-F16/NISAR
— ISRO (@isro) July 30, 2025
Today’s the day!
Launch Day has arrived for GSLV-F16 & NISAR. GSLV-F16 is standing tall on the pad. NISAR is ready. Liftoff today.
🗓️ July 30, 2025
Live from: 17:10 Hours IST
Liftoff at : 17:40 Hours IST
Livestreaming Link: https://t.co/flWew2LhgQ
For more… pic.twitter.com/bIjVJTZyMv
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की जाएगी 102वीं लॉन्चिंग
बता दें कि इसरो का जीएसएलवी-एफ16 लॉन्चिंग रॉकेट बुधवार को अपनी 18वीं उड़ान भरी है. जबकि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ये 102वीं लॉन्चिंग होगी. बता दें कि ये सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में जाने वाला जीएसएलवी रॉकेट का पहला भी मिशन है. हालांकि इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी रिसोर्ससेट और रीसेट समेत धरती पर नजर रखने वाले कई उपग्रहों को लॉन्च कर चुकी है, लेकिन इन उपग्रहों से एकत्रित डाटा भारतीय क्षेत्र तक ही सीमित रहा है. बुधवार को लॉन्च होने वाले निसार सैटेलाइट का वजन 2,392 किलोग्राम है जो पृथ्वी की निगरानी करने वाला एक उपग्रह है.
धरती पर नजर रखेगा निसार उपग्रह
बता दें कि नासा और इसरो पहली बार मिलकर इस उपग्रह को लॉन्च करने जा रहे हैं. ये उपग्रह अंतरिक्ष से पूरी पृथ्वी पर नजर रखेगा और निगरानी करेगा. इस सैटेलाइट की खासियत ये है कि ये हर 12 दिनों में पूरी धरती की भूमि और बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा. इसके साथ ही ये उपग्रह एक सेंटीमीटर स्तर तक की सटीक फोटो लेने और उन्हें प्रसारित करने की क्षमता रखता है. इस उपग्रह में नासा द्वारा तैयार किया गया एल-बैंड और इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड रडार लगाया गया है, जिन्हें पूरी दुनिया में सबसे उन्नत माना जा रहा है. इस तकनीक से प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन और बाढ़ जैसे हालातों में रीयल-टाइम निगरानी की जा सकेगी.