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Name Plate Controversy: SC के फैसला पर धीरेंद्र शास्त्री ने कह दी बड़ी बात, कांवड़िए सुनकर हो गए हैरान!

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर नेमप्लेट पर अपना फैसला बरकरार रखा है. इसपर बागेश्वर धाम के प्रभारी धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि इस मामले पर कोर्ट का आदेश ही सर्वोपरि है. 

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Sourabh Dubey
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DHIRENDRA SHASTRI
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देश की सर्वोच्च अदालत ने दुकानों के नेमप्लेट विवाद पर अपना फैसला बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि, चाहे सनी हो या सलमान.. अगर किसी की भी दुकान कावड़ मार्ग के रास्ते में आ रही है, तो वह अपनी मर्जी से बगैर नेम प्लेट के भी दुकान चला सकते हैं. वहीं अब इसे लेकर बागेश्वर धाम के प्रभारी धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि इस मामले पर कोर्ट का आदेश ही सर्वोपरि है. 

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बता दें कि, शुक्रवार को अपने फैसले में SC ने साफ कर दिया कि, नेमप्लेट आदेश पर अंतरिम रोक का फैसला बरकरार रहेगा. हालांकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की ओर से इस आदेश के पक्ष में SC को खूब दलीलें भी दी गई, मगर अदालत ने एक भी न मानी...

सर्वोच्च अदालत का आदेश..

गौरतलब है कि, अपने आदेश को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हम नाम लिखने को मजबूर नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि, हमारा आदेश साफ है अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है, फिर चाहे वह सनी हो सलमान हो या अब्दुल रहमत हो या कोई और हो वह लिख सकता है. हमने इसपर कोई पाबंदी नहीं लगाई है. हमारा आदेश था कि, नाम लिखने के लिए सरकार किसी को मजबूर नहीं कर सकती है.  

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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. 

क्या है विवाद?

मालूम हो कि, पिछले दिनों योगी सरकार ने एक फरमान दिया था कि कावड़ यात्रा के रास्ते में जितनी भी दुकानें पड़ती हैं, सभी को अनिवार्य रूप से अपना नाम लिखना होगा और पहचान लिखनी होगी, जिसके बाद तमाम इलाकों में इस आदेश ने विवाद का रूप ले लिया.. इसे लेकर तमाम विपक्षी नेता भी योगी सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे थे. 

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तब जाकर ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पहुंचा और वहां सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को भी यह कहा कि मामले में आगे की सुनवाई होगी. साथ ही उत्तराखंड सरकार से भी अपनी जवाब को दाखिल करने को कहा है. SC का कहना है कि, हम इस बात पर बरकरार हैं कि अगर कोई नाम लिखना चाहता है तो लिखे, हम किसी को मजबूर नहीं करेंगे.

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