मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह से जुड़े एक अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कथित अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया. सुनवाई के दौरान, जस्टिस कांत ने विजय शाह द्वारा दी गई "माफी" की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने इसे परिणामों से बचने का प्रयास की तरह बताया.
कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
विजय शाह की तरफ से पेश वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि 15 मई के आदेश के खिलाफ एक और एसएलपी दायर की गई है और उनके मुवक्किल ने माफी मांगी है. हालांकि, जस्टिस कांत ने तुरंत पूछा, "वह माफी क्या है? वह कहां है?"
कोर्ट ने विजय शाह की टिप्पणियों कड़ी प्रतिक्रिया जताई. जस्टिस कांत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि "आप एक पब्लिक फिगर हैं. एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं. आपको बोलते समय अपने शब्दों पर विचार करना चाहिए." उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कोर्ट विजय शाह का वीडियो दिखाना चाहेगा, यह दर्शाता है कि मीडिया भी उनकी टिप्पणियों की गंभीरता को पूरी तरह से नहीं समझ पाया है. सशस्त्र बलों के महत्व पर जोर देते हुए, जस्टिस कांत ने कहा, "यह सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है. हमें बहुत ज़िम्मेदार होने की ज़रूरत है."
माफी मांगने की बात पर, जस्टिस कांत ने अपना सख्त लहजा जारी रखा. उन्होंने कहा, "अगर यह (माफी मांगने वाला वीडियो) आपका सच्चा खेद है, तो हम इसे पूरी तरह से खारिज करते हैं. यह परिणामों से बचने का प्रयास है. आप यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं कि आपने भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, आप कहते हैं ' अगर मैंने ठेस पहुंचाई है, आप लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे कुछ अपेक्षा रखते हैं, आपको उदाहरण पेश करना चाहिए!" उन्होंने आगे सवाल किया कि, 'माफी' शब्द का एक अर्थ होता है, कभी-कभी केवल परिणामों से बचने के लिए, कभी-कभी मगरमच्छ के आंसू, आपका यह माफीनामा किस तरह का है?"
FIR पर सवाल और SIT का गठन
कोर्ट ने एफआईआर में हुए घटनाक्रम पर भी राज्य से तीखे सवाल पूछे. जस्टिस कांत ने पूछा, "जब हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और आपकी एफआईआर को फिर से लिखना पड़ा, तो आपने क्या किया? क्या इस बात की जांच की गई है कि क्या कोई कॉग्निजेबल ऑफेंस बनता है?" इन सभी गंभीर घटनाक्रमों के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह के मामले में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा, "हम तीन आईपीएस अधिकारियों की एक एसआईटी गठित कर रहे हैं. इनमें से एक आईजी रैंक का होना चाहिए. हम इस पर कड़ी नजर रखना चाहेंगे. यह आपके लिए लिटमस टेस्ट है."
SIT के लिए कड़े निर्देश
अदालत ने एसआईटी के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं:
- SIT का गठन: एफआईआर की जांच के लिए एक एसआईटी गठित की जाएगी, जिसमें मध्य प्रदेश कैडर के सीधे भर्ती किए गए 3 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल होंगे.
- इन 3 अधिकारियों में से 1 महिला आईपीएस अधिकारी होनी चाहिए.
- नेतृत्व और रैंक: मध्य प्रदेश के डीजीपी को कल रात 10 बजे से पहले एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया गया है. इसका नेतृत्व एक आईजीपी द्वारा किया जाना चाहिए और दोनों सदस्य भी एसपी या उससे ऊपर के रैंक के होंगे.
- जांच में सहयोग: याचिकाकर्ता (विजय शाह) को जांच में शामिल होने और पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया गया है. इस शर्त के अधीन, फिलहाल उनकी गिरफ्तारी पर रोक रहेगी.
- स्थिति रिपोर्ट: कोर्ट ने एसआईटी को एक स्थिति रिपोर्ट के माध्यम से अपनी जांच के परिणाम प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
- यह मामला अब एसआईटी की जांच पर निर्भर करेगा और सुप्रीम कोर्ट इस पर कड़ी नजर रखेगा.
Sofiya Qureshi Case: मंत्री विजय शाह की माफी पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, दिए ये सख्त आदेश
Sofiya Qureshi Case: सर्वोच्च अदालत ने मंत्री विजय शाह की माफी को नाकाफी बताया है. अदालत ने SIT गठित करने के आदेश दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर
Supreme Court (file)
मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह से जुड़े एक अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कथित अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया. सुनवाई के दौरान, जस्टिस कांत ने विजय शाह द्वारा दी गई "माफी" की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने इसे परिणामों से बचने का प्रयास की तरह बताया.
कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
विजय शाह की तरफ से पेश वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि 15 मई के आदेश के खिलाफ एक और एसएलपी दायर की गई है और उनके मुवक्किल ने माफी मांगी है. हालांकि, जस्टिस कांत ने तुरंत पूछा, "वह माफी क्या है? वह कहां है?"
कोर्ट ने विजय शाह की टिप्पणियों कड़ी प्रतिक्रिया जताई. जस्टिस कांत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि "आप एक पब्लिक फिगर हैं. एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं. आपको बोलते समय अपने शब्दों पर विचार करना चाहिए." उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कोर्ट विजय शाह का वीडियो दिखाना चाहेगा, यह दर्शाता है कि मीडिया भी उनकी टिप्पणियों की गंभीरता को पूरी तरह से नहीं समझ पाया है. सशस्त्र बलों के महत्व पर जोर देते हुए, जस्टिस कांत ने कहा, "यह सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है. हमें बहुत ज़िम्मेदार होने की ज़रूरत है."
माफी मांगने की बात पर, जस्टिस कांत ने अपना सख्त लहजा जारी रखा. उन्होंने कहा, "अगर यह (माफी मांगने वाला वीडियो) आपका सच्चा खेद है, तो हम इसे पूरी तरह से खारिज करते हैं. यह परिणामों से बचने का प्रयास है. आप यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं कि आपने भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, आप कहते हैं ' अगर मैंने ठेस पहुंचाई है, आप लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे कुछ अपेक्षा रखते हैं, आपको उदाहरण पेश करना चाहिए!" उन्होंने आगे सवाल किया कि, 'माफी' शब्द का एक अर्थ होता है, कभी-कभी केवल परिणामों से बचने के लिए, कभी-कभी मगरमच्छ के आंसू, आपका यह माफीनामा किस तरह का है?"
FIR पर सवाल और SIT का गठन
कोर्ट ने एफआईआर में हुए घटनाक्रम पर भी राज्य से तीखे सवाल पूछे. जस्टिस कांत ने पूछा, "जब हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और आपकी एफआईआर को फिर से लिखना पड़ा, तो आपने क्या किया? क्या इस बात की जांच की गई है कि क्या कोई कॉग्निजेबल ऑफेंस बनता है?" इन सभी गंभीर घटनाक्रमों के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह के मामले में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा, "हम तीन आईपीएस अधिकारियों की एक एसआईटी गठित कर रहे हैं. इनमें से एक आईजी रैंक का होना चाहिए. हम इस पर कड़ी नजर रखना चाहेंगे. यह आपके लिए लिटमस टेस्ट है."
SIT के लिए कड़े निर्देश
अदालत ने एसआईटी के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं: