मध्य प्रदेश में सबसे अधिक महिलाएं पी रही हैं शराब, कांग्रेस नेता जीतू पटवारी के बयान से सियासी पारा हाई

मध्य प्रदेश की महिलाएं सबसे अधिक शराब पीती हैं. कांग्रेस नेता जीतू पटवारी का भी यही मानना ​​है. उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाएं ज्यादा शराब पी रही हैं. पूरा राज्य नशे की गिरफ़्त में है. तो क्या सच में ऐसा कुछ है?

मध्य प्रदेश की महिलाएं सबसे अधिक शराब पीती हैं. कांग्रेस नेता जीतू पटवारी का भी यही मानना ​​है. उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाएं ज्यादा शराब पी रही हैं. पूरा राज्य नशे की गिरफ़्त में है. तो क्या सच में ऐसा कुछ है?

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Ravi Prashant
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Madhya Pradesh Congress leader Jeetu Patwari

कांग्रेस नेता जीतू पटवारी Photograph: (X)

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक जीतू पटवारी ने भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मध्य प्रदेश में महिलाएं पूरे देश के मुकाबले सबसे ज्यादा शराब का सेवन करती हैं.” उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और महिलाओं पर टिप्पणी को लेकर सामाजिक बहस भी शुरू हो गई है कि क्या वाकई में एमपी में महिलाएं अधिक शराब सेवन करने लगी हैं?

नशे की गिरफ्त में प्रदेश

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पटवारी ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार की नीतियों ने प्रदेश को नशे की गिरफ्त में धकेल दिया है.  उन्होंने कहा कि शराब और नशीले पदार्थों का धंधा लगातार बढ़ रहा है और इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ रहा है. कांग्रेस नेता का यह दावा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और विरोधियों ने इसे तुरंत लपक लिया. 

बीजेपी ने किया काउंटर अटैक

बीजेपी ने पटवारी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसे “अशोभनीय और आधारहीन” बताया. वहीं, नेहा बग्गा ने कहा कि यह बयान न सिर्फ महिलाओं का अपमान है बल्कि उनकी गरिमा पर भी सीधा हमला है. उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि महिलाएं नशे में नहीं हैं, बल्कि उनकी सोच नशे में है.

मध्य प्रदेश की महिलाएं ज्यादा पी रही हैं शराब? 

हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या जीतू पटवारी का दावा तथ्यों पर आधारित है? अगर सरकारी सर्वेक्षणों को देखें तो तस्वीर कुछ और ही कहती है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के मुताबिक, भारत में सबसे अधिक शराब पीने वाली महिलाएं अरुणाचल प्रदेश में हैं, जहां 26 प्रतिशत महिलाएं शराब का सेवन करती हैं. इसके बाद सिक्किम दूसरे स्थान पर है, जबकि असम, तेलंगाना और झारखंड जैसे राज्य भी शीर्ष पर आते हैं. 

मध्य प्रदेश का आंकड़ा इनसे बिल्कुल अलग है. यहां केवल 1.6 प्रतिशत महिलाएं ही शराब पीती हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर बहुत कम है. ऐसे में पटवारी के बयान को लेकर विपक्ष ही नहीं बल्कि सामाजिक संगठनों ने भी सवाल उठाए हैं. 

सियासी पारा हुआ हाई

पटवारी का ये बयान कांग्रेस के लिए राजनीतिक जोखिम साबित हो सकता है क्योंकि विपक्ष इसे महिलाओं के सम्मान से जोड़कर भुनाने की कोशिश कर रहा है. वहीं, इस पूरे विवाद ने एक बार फिर मध्य प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है और अब निगाहें इस बात पर हैं कि कांग्रेस इस बयान को लेकर सफाई देती है या पीछे हटती है. 

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