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संसद का शीतकालीन सत्र एक बार फिर सरकार और विपक्ष के तीखे टकराव के साथ शुरू हुआ. चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR (Special Intensive Revision) पर तत्काल बहस की विपक्ष की मांग ने शुरुआत से ही माहौल गर्म कर दिया. सरकार ने साफ कर दिया कि चर्चा से परहेज नहीं है, लेकिन संसद को विपक्ष की निर्धारित टाइमलाइन पर नहीं चलाया जा सकता. यह साफ संकेत देता है कि SIR इस पूरे सत्र का सबसे विवादित मुद्दा बनने वाला है. खास बात यह है कि सरकार ने न सिर्फ एसआईआर बल्कि अन्य मुद्दों पर चर्चा की बात कही है.
इस दिन इतनी बजे से होगी SIR पर चर्चा
केंद्र सरकार की ओर से चुनाव सुधार को लेकर बहस के लिए दो दिन का वक्त तय किया गया है. इसके तहत 9 और 10 दिसंबर को कुल 10 घंटे चर्चा होगी. ये चर्चा लोकसभा में होगी.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया. इसके तहत राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना के 150 साल पूरा होने और चुनाव सुधारों संबंधी विषय पर चर्चा की जाएगी.
राज्यसभा में विपक्ष का वॉकआउट
इससे पहले राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने SIR पर तुरंत चर्चा की मांग उठाई. तृणमूल के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने आरोप लगाया कि SIR की प्रक्रियागत खामियों के कारण लोग जान गंवा रहे हैं. सरकार की ओर से इस मांग को प्राथमिकता न देने पर विपक्षी दलों ने वॉकआउट कर दिया. यह कदम दर्शाता है कि विपक्ष SIR को केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि जनहित और लोकतंत्र से जुड़ा गंभीर मुद्दा मान रहा है.
#WATCH | Winter Session of Parliament | On disucssion on Vande Mataram and electoral reforms, Revolutionary Socialist Party MP N.K. Premachandran says, "Because it is good to resolve the deadlock pending since long. Regarding the discussion on electoral reforms, the Govt could… pic.twitter.com/bwoV2IQIKQ
— ANI (@ANI) December 2, 2025
सरकार का रुख: संवाद को तैयार, शर्तें नहीं
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के दबाव को सख्ती से ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि संसद संवाद और सहमति से चलती है, किसी मशीन की तरह नहीं. सरकार का कहना है कि पहले से तय एजेंडा जिसमें ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा शामिल है को टाला नहीं जा सकता. रिजिजू का स्पष्ट संदेश था कि विपक्ष चर्चा की शर्तें निर्धारित नहीं कर सकता. यह बयान संकेत देता है कि सरकार SIR पर बहस के लिए तैयार तो है, लेकिन अपने शर्तों और समय-सारणी के अनुसार.
सरकार-विपक्ष वार्ता की तैयारी
राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने आश्वासन दिया कि जल्द ही विपक्ष और सरकार के बीच मीटिंग होगी. नेतृत्वस्तर की बातचीत के बाद ही SIR पर औपचारिक संसदीय चर्चा का स्वरूप तय किया जाएगा. नड्डा का यह संकेत बताता है कि SIR पर खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन संवाद के जरिए समाधान निकालने के प्रयास जारी हैं.
बता दें कि SIR का दूसरा चरण 27 अक्टूबर से शुरू हुआ था और इससे नौ राज्यों तथा तीन केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग आधे मतदाता प्रभावित हो रहे हैं इसी कारण यह एक राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दा बन गया है.
SIR विवाद: विपक्ष के आरोप बनाम आयोग का रुख
विपक्ष का आरोप है कि SIR जल्दबाजी में, राजनीतिक दबाव में और पारदर्शिता की कमी के साथ कराया जा रहा है. सख्त टाइमलाइन की वजह से मतदाता और अधिकारी दोनों परेशान हैं, साथ ही संशोधित मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायतें भी सामने आ रही हैं. चुनाव आयोग ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए SIR की टाइमलाइन एक सप्ताह बढ़ा दी, ताकि प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित हो सके.
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