Mission Sudarshan Chakra
मिसाइल सिस्टम की दुनिया में भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है. डीआरडीओ ने स्वदेश एयर डिफेंस सिस्टम को विकसित किया है. इसके सफल परीक्षण ने यह साबित कर दिया कि मल्टी लेयर वाला यह डिफेंस सिस्टम हवाई हमलों को नाकाम करने में पूरी तरीके से सक्षम है. भारत के सुदर्शन चक्र के रूप में एक ऐसी ट्रिपल ताकत को विकसित कर लिया है जो आसमान से होने वाले हमलों को हवा में ही धराशाई कर सकता है. तीन लेयर की सुरक्षा प्रणाली से लैस भारत का इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम गेम चेंजर साबित होने वाला है.
ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज से कामयाब परीक्षण
अब डीआरडीओ ने इस डिफेंस सिस्टम का ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज से कामयाब परीक्षण किया है. टेस्टिंग के दौरान इस एयर डिफेंस सिस्टम ने तीन टारगेट्स को निशाने पर लिया और फिर उसे तबाह कर दिया. नए डिफेंस सिस्टम को केंद्रीयकृत कमांड सेंटर से नियंत्रित किया जाता है. मल्टी लेयर सुरक्षा सिस्टम होने की वजह से इसका तोड़ निकालना असंभव है. मसलन इसके डिफेंस लेयर में पहले नंबर पर है. क्यूआर एसएएम यानी क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल. यह वो मिसाइल है, जो हवाई हमलों को फौरी तौर से रोक सकती है. इसकी रेंज 30 कि.मी. तक है और 4.7 की स्पीड से यह मिसाइल टारगेट को तबाह कर सकती है. इसके बाद दूसरे नंबर पर है एडवांस्ड वेरियस शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम. यह मिसाइल सिस्टम नजदीक के खतरों को जमींदोज कर सकता है.
1800 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से हमला
इस सिस्टम की रेंज 250 कि.मी. है और यह 1800 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से हमला कर सकता है. इसके बाद तीसरा लेयर है डायरेक्टेड एनर्जी वेपन जो हाई पावर लेजर आधारित सिस्टम है जिसके बदौलत दुश्मन के एरियल अटैक को निस्तनाबूत किया जा सकता है. इस बार 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुदर्शन चक्र एयर डिफेंस सिस्टम का जिक्र किया था. जिसका मकसद साफ है दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने के साथ देश को साइबर सुरक्षा देना. इस लिहाज से भारत का नया एयर डिफेंस सिस्टम वॉर चेंजर होने की काबिलियत रखता है.