महबूबा मुफ्ती ने एलजी को लिखा पत्र, हजारों कश्मीरियों को हिरासत में लिए जताई चिंता

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्र शासित प्रदेश की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखा.

author-image
Mohit Saxena
New Update
mufti

पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्र शासित प्रदेश की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर जांच अभियान के दौरान हजारों कश्मीरियों को हिरासत में लिए जाने पर चिंता व्यक्त की है. उपराज्यपाल को लिखे पत्र को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है. महबूबा मुफ्ती ने लिखा,'सोमवार को पहलगाम की मेरी यात्रा के दौरान कई स्थानीय निवासियों ने पुलिस की ओर से मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने के बारे में गहरी आशंका और चिंता जताई है. मैंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर उनसे इस दृष्टिकोण की तुरंत समीक्षा करने का आग्रह किया है. ये सामूहिक दंड के समान प्रतीत होता है. ऐसे उपायों से उस समय विश्वास की कमी को गहरा करने का जोखिम है, जब कश्मीरियों ने उस अंतर को पाटने को लेकर सार्थक कदम उठाए हैं.'

Advertisment

देश में व्यापक रूप से निंदा हो रही

महबूबा मुफ्ती ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए पत्र में लिखा, 'मैं ऐसे वक्त पर पत्र लिख रही हूं, जब पूरा देश पहलगाम में हुए दुखद और कायराना आतंकी हमले से दुखी है. इस जघन्य कृत्य की पूरे देश में व्यापक रूप से निंदा हो रही है. खासकर कश्मीर के लोगों के द्वारा भी. हमने एक कदम आगे बढ़कर पूर्ण बंद रखा. विरोध में सड़कों पर उतरे. पहली बार एक अहम बदलाव को चिह्नित किया'.आतंकवादी हमलों के विरुद्ध कश्मीरियों की एकजुटता दर्शाते हुए, उन्होंने लिखा कि कश्मीर के लोगों ने आतंकवाद को खुले तौर पर चुनौती दी. इस महत्वपूर्ण वक्त के दौरान राष्ट्र के साथ एकजुटता से  खड़े रहे. हमले के तुरंत बाद भी स्थानीय कश्मीरियों ने भी घायलों की सहायता की. उन्हें अस्पताल पहुंचाया और रक्तदान भी किया. यह किसी एहसान के तौर पर नहीं बल्कि अपने साथी नागरिकों के प्रति एक हार्दिक कर्तव्य के तौर पर. 

तीन हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां 

जांच के दौरान कश्मीरियों की गिरफ्तारी पर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने लिखा, 'विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की जवाबी कार्रवाई एक केंद्रित जांच की तरह कम और एक व्यापक तथा अंधाधुंध कार्रवाई की तरह अधिक प्रतीत होती है. तीन हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां और लगभग 100 लोगों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने की रिपोर्ट मिली है. ये संख्याएं चिंताजनक हैं और न्याय को नहीं बल्कि सजा के सामूहिक स्वरूप को दर्शाती हैं. इस दृष्टिकोण से न केवल परिवारों और समुदायों को अलग-थलग करने का जोखिम है, बल्कि यह सवाल भी उठता है कि यह सब हमें कहां ले जाएगा?'

      
Advertisment