/newsnation/media/media_files/2025/07/31/malegaon-blast-case-nia-court-acquits-all-accused-updates-in-hindi-2025-07-31-12-03-01.jpg)
Malegaon BLast case (NN)
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साधवी प्रज्ञा सिंह और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित (रि) सहित सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. 17 साल बाद अदालत ने मामले में फैसला सुनाया है. फैसला सुनाए जाने के दौरान, अदालत में सभी सातों आरोपी मौजूद थे. साध्वी प्रज्ञा सिंह ने कहा कि एक षड्यंत्र के तहत भगवा को बदनाम किया गया. आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है. जो दोषी हैं उन्हें भगवान सजा देंगे.
NIA Court acquits all accused in Malegaon blast case, including Sadhvi Pragya Singh, Lt Colonel Purohit and others
— ANI (@ANI) July 31, 2025
On September 29, 2008, six people were killed and several others injured when an explosive device strapped to a motorcycle detonated near a mosque in Malegaon City,… pic.twitter.com/PYsIBvrvc4
अदालत ने क्या कहा
जस्टिस एके लाहोटी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कुछ आरोप अदालत द्वारा खारिज किए गए हैं. वहीं कुछ को स्वीकार किया गया है. बचाव पक्ष का तर्क कि एटीएस का कालाचौकी कार्यालय एक पुलिस स्टेशन नहीं है…इसे अदालत ने खारिज कर दिया है. अदालत इन निष्कर्ष पर पहुंची कि बम बाइक के बाहर रखा गया था न कि अंदर. अदालत ने कहा कि कोई भी सबूत विश्वसनीय नहीं है. उन्होंने कहा कि मामले में यूएपीए के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. कोर्ट ने कहा कि विस्फोट में इस्तेमाल हुई बाइक प्रज्ञा के नाम पर है, ये भी साफ नहीं हो पाया है. ये भी साफ नहीं हो पाया कि विस्फोट बाइक पर लगाए गए बम से ही हुआ है.
मालेगांव ब्लास्ट कब हुआ
मालेगांव महाराष्ट्र के नासिक जिले का एक शहर है. रमजान का महीना था. 29 सितंबर 2008 को करीब 9.35 बजे मालेगांव के भीखू चौक पर ब्लास्ट हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी. 100 से ज्यादा लोग हादसे में घायल हो गए थे. ब्लास्ट के अगले दिन से नवरात्रि शुरू होने वाली थी.
मामले में इन लोगों पर आरोप
- साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर
- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (रि)
- मेजर रमेश उपाध्याय (रि)
- समीर कुलकर्णी
- अजय राहिरकर
- सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडे
- सुधाकर चतुर्वेदी
बता दें, ब्लास्ट केस में कुल 12 लोगों पर आरोप थे, लेकिन स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस शुरू होने से पहले ही पांच लोगों को बरी कर दिया गया था.