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Malegaon Blast Case Photograph: (social media)
मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव के कारण सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने साफ किया कि अभियोजन पक्ष धमाके की घटना को साबित नहीं कर सका है. इससे ये पुष्टि नहीं होती है कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था. कोर्ट के निर्णय के बाद भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, "हिंदू कभी आतंकी नहीं हो सकता. कांग्रेस ने सिर्फ वोटबैंक की राजनीति को लेकर भगवा आतंकवाद का झूठा नैरेटिव गढ़ा है. निर्दोषों पर फर्जी केस थोपे."
उन्होंने लिखा, "साफ है कांग्रेस ने एक साजिश रची थी. सोनिया गांधी, पी. चिदंबरम और सुशीलकुमार शिंदे जैसे नेताओं ने सनातन को बदनाम करने की कोशिश की. इसके लिए उन्हें हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए. सनातन धर्म पवित्र है. हिंदू आतंकवादी हो नहीं सकता. गर्व से कहो हम हिंदू हैं."
#WATCH | Delhi: On NIA court acquitting all the accused in the Malegaon Blast case, BJP MP Dinesh Sharma said, "Today is a historic day and also a day of joy because the UPA government had played a game of misusing government institutions... The UPA government had given rise to a… pic.twitter.com/wtxAqDEqhj
— ANI (@ANI) July 31, 2025
संस्थाओं के दुरुपयोग का खेल खेला था
मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए अदालत की ओर से सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, "आज ऐतिहासिक दिन है और खुशी का भी, क्योंकि यूपीए सरकार ने सरकारी संस्थाओं के दुरुपयोग का खेल खेला था. यूपीए सरकार ने आतंकवाद के एक नए रूप को जन्म दिया था, जिसे उन्होंने 'हिंदू आतंकवाद' कहना शुरू कर दिया था। यूपीए सरकार के इस कथन को सही साबित करने के लिए उन्होंने सनातन प्रवृत्ति के नेताओं को झूठे आरोपों में जेल में डाल दिया। आज यह सिद्ध हो गया है कि 'हिंदू आतंकवाद' जैसी कोई चीज नहीं होती. एक हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता, और अगर कोई आतंकवादी है, तो वह हिंदू नहीं हो सकता' - यह कथन आज सार्थक साबित हुआ है."
क्या "धर्मनिरपेक्ष" राजनीतिक दल जवाबदेही की मांग करेंगे: ओवैसी
इस दौरान ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लमीन के प्रमुख और हैदराबाद से सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पोस्ट में लिखा, "विस्फोट के 17 साल बाद, अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी किया है. जिस तरह से मुंबई ट्रेन विस्फोटों में आरोपियों को बरी करने पर रोक लगाने की मांग की थी? क्या महाराष्ट्र के "धर्मनिरपेक्ष" राजनीतिक दल जवाबदेही की मांग करेंगे?"
कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने कहा कि धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया था. इसके साथ घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए. बाइक का चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ. इसके साथ ही वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम से थी. यह भी सिद्ध नहीं हो सका है. अदालत ने साफ किया कि सातों आरोपी निर्दोष हैं. केवल संदेह के आधार पर किसी को सजा नहीं मिल सकती है. अदालत ने यह भी टिप्पणी कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है.
क्या है पूरा मामला ?
आपको बता दें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र माह में और नवरात्रि से ठीक पहले एक धमाका हुआ. इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई. वहीं 100 से अधिक लोग घायल हुए. यह केस एक दशक तक चला. मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों को पूछाताछ भी की. इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) की ओर हुई. बाद में 2011 में एनआईए को जांच सौंप गई थी.