Mahashivratri 2025: आज महाकुंभ का आखिरी दिन है. इसके साथ ही महाशिवरात्रि का अंतिम महास्नान भी. महाकुंभ के आखिरी दिन के लिए रेलवे ने भी विशेष इंतजाम किए हैं. इसके लिए रेलवे बुधवार को 350 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन कर रहा है. इन ट्रेनों का संचालन प्रयागराज से किया जा रहा है. क्योंकि रेलवे का मानना है कि महाकुंभ के आखिरी दिन महाशिवरात्रि के मौके पर उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल समेत अलग-अलग राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं. ऐसे में जब वह प्रयागराज से वापस अपने-अपने घरों के लिए रवाना होंगे तो उन्हें भारी परेशानी हो सकती है.
महाशिवरात्रि के बाद भी संगम में डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु
महाकुंभ के महास्नान के बाद जब श्रद्धालु अपने-अपने घरों को वापस लौंटेंगे तो प्रयागराज और उसके आसपास के सभी स्टेशनों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी. इसे देखते हुए रेलवे ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने कार्य स्थल पर मुस्तैद रहने का निर्देश दिए हैं. क्योंकि इससे पहले मौनी अमावस्या के मौके पर भी रेलवे ने 360 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन कर लगभग 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाया था.
महाशिवरात्रि के बाद भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे और संगम में डुबकी लगाने के बाद अपने घरों को वापस भी जाएंगे. ऐसे में महाकुंभ के बाद भी रेलवे अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए रेलवे ने प्रयागराज के पास वाले स्टेशनों पर अतिरिक्त रेक रखे गए हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर किया जाएगा.
इन स्टेशनों पर भी उमड़ रही भारी भीड़
रेल मंत्रालय के मुताबिक, पिछले दो दिनों से कई स्टेशनों पर सामान्य दिनों की तुलना में यात्रियों की भारी भीड़ जुट रही है. रेलवे का कहना है कि बिहार के पटना, दानापुर, गया, कटिहार, सासाराम, मुजफ्फरपुर, सहरसा, खगड़िया, दरभंगा और जयनगर रेलवे स्टेशनों पर भारी संख्या में यात्री पहुंच रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, गोंडा, दीनदयाल उपाध्याय और झांसी जिलों के स्टेशनों पर भी ऐसे ही हालात बने हुए हैं. जबकि मध्य प्रदेश के जबलपुर, खजुराहो, चित्रकूट और सतना स्टेशनों पर भी सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा यात्री पहुंच रहे हैं.
महाकुंभ के दौरान चलाई गईं 15 हजार से ज्यादा ट्रेनें
बता दें कि महाकुंभ के लिए रेलवे ने लगभग 13,500 ट्रेनें चलाने की योजना बनाई थी. लेकिन महाकुंभ के 42वें दिन तक रेलवे ने 15 हजार से अधिक ट्रेनों का संचालन किया. इनमें बड़ी संख्या में स्पेशल ट्रेनें शामिल हैं.