Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत इन दिनों पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. चुनाव नतीजों के बाद से ही प्रदेश में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. खासतौर पर महायुति में बगावती सुर समय-समय पर सुनाई दे रहे हैं. दरअसल शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे शुरू से ही नतीजों के बाद सरकार बनाने और अन्य बातों में अपनी मांगों को लेकर जिद पर अड़े हैं. वहीं दूसरी तरफ एनसीपी चीफ अजित पवार भी कैबिनेट विस्तार से संतुष्ट नहीं हैं. उनकी अपनी पार्टी में ही बगावत शुरू हो गई है.
लिहाजा देवेंद्र फडणवीस के लिए सरकार चलाना टेढ़ी खीर बनता जा रहा है. इस बीच महाराष्ट्र से एक और बड़ी खबर ने सभी को चौंका दिया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि फडणवीस ने शिंदे और पवार का विकल्प तलाश तो नहीं लिया.
क्या है देवेंद्र फडणवीस के विकल्प का राज
दरअसल ये सारी चर्चा उस वक्त शुरू हुई जब मंगलवार को महाराष्ट्र सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना यूबीटी चीफ उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. हालांकि ये मुलाकात सिर्फ 10 मिनट की बताई जा रही है. लेकिन इसके कई मायने सामने आ रहे हैं. सूत्रों की मानें तो एक बार फिर महायुति में शिवसेना यूबीटी की एंट्री हो सकती है. इसको लेकर कवायद शुरू हो गई है.
दोनों दोस्ती जग जाहिर
इससे पहले एनडीए में देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की दोस्ती जग जाहिर है. फडणवीस को एक बार फिर अपने दोस्त की जरूरत पड़ी है. क्योंकि एकनाथ शिंदे ने उनके हर कदम पर एक अडंगा लगा रखा है. कहा जाता है राजनीति में सभी दरवाजे खुले रखने चाहिए कब किस दरवाजे की जरूरत पड़ जाए पता नहीं. ऐसे में देवेंद्र फडणवीस इस मामले में माहिर माने जाते हैं. कहीं उन्होंने दांव चलना शुरू कर दिया है जल्द ही प्रदेश की सियासत में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है.
महाविकास अघाड़ी को भी झटका
देवेंद्र फडणवीस अपने एक तीर से दो निशाने साध सकते हैं. पहला महायुति को मजबूती देना और बागी सुरों को शांत करना. दूसरा अपने विरोधी यानी महाविकास अघाड़ी को पूरी तरह खत्म कर देना. क्योंकि उद्धव गुट वाली शिवसेना महाविकास अघाड़ी से दूरी बना लेती है तो तकरीबन मराठा वोट पूरी तरह से विपक्ष के हाथ छटक जाएगा. थोड़ा बहुत है वह शरद पवार के साथ है जिसका आने वाले वक्त में बहुत ज्यादा असर दिखाई नहीं दे रहा है.
उद्धव के मुलाकात के पीछे क्या मकसद
दरअसल विधानसभा चुनाव के बाद जो नतीजे आए हैं उसके मुताबिक विपक्ष में किसी भी दल के पास इतनी सीट नहीं हैं कि वह सदन में प्रतिपक्ष नेता का पद हासिल कर सकें. ऐसे में उद्धव देवेंद्र फडणवीस से चाहते हैं कि यह पद वह उद्धव की शिवसेना को दें. इसको लेकर वह न सिर्फ देवेंद्र फडणवीस से मिले बल्कि उन्होंने राहुल नार्वेकर से भी मीटिंग की है.