महाराष्ट्र में ये क्या हो गया, लगेगा राष्ट्रपति शासन! महायुति की बढ़ी मुश्किलें

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है. इस बीच एक और बड़ा मामला सामने आया है. जी हां प्रदेश में न तो शिंदे राज होगा और न ही फडणवीस राज, बल्कि राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है.

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है. इस बीच एक और बड़ा मामला सामने आया है. जी हां प्रदेश में न तो शिंदे राज होगा और न ही फडणवीस राज, बल्कि राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है.

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Dheeraj Sharma
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Maharashtra Presidential Rule may imposed soon

Maharashtra New CM: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे तो घोषित हो गए लेकिन सरकार बनने का रास्ता साफ नहीं हो पा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भी अब तक प्रदेश में सीएम फेस पर अटकलों का दौर खत्म नहीं हो रहा है. इस बीच एक और बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र में न तो शिंदे राज और न ही देवेंद्र फडणवीस का राज होगा. बल्कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. 

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विरोधियों ने उठाए सवाल

महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों को 9 दिन बीत चुके हैं लेकिन अब तक प्रदेश के मुखिया के नाम पर मुहर नहीं लग पाई है. महायुति के अच्छे प्रदर्शन के बाद भी बीजेपी और सहोयगी दल मिलकर एक नाम पर सहमति नहीं बना पा रहे हैं. इसके पीछे शिवसेना औऱ एनसीपी के तीखे तेवर बताए जा रहे हैं. बरहाल इस बीच विरोधियों ने भी बयानबाजियां तेज कर दी है. शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने सवाल उठाया है कि 9 दिन तक सीएम का ऐलान नहीं होने और सरकार का गठन नहीं कर पाने के बाद भी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन क्यों लागू नहीं किया जा रहा है. 

उन्होंने कहा कि, अगर ऐसा हाल किसी और राज्य का होता या विरोधियों दलों की ऐसी स्थिति होती तो अब तक राज्यपाल की ओर से राष्ट्रपति शासन की गुहाल लगाई जा चुकी होती. 

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शपथ ग्रहण समारोह की तारीख पर भी सवाल

आदित्य ठाकरे ने शपथ ग्रहण समारोह की तारीख के ऐलान को लेकर भी सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि अब तक यह भी साफ नहीं हो पाया है कि महायुति की ओर से मुख्यमंत्री कौन बन रहा है और शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान कर दिया गया है. नियम औऱ कानून के मुताबिक ऐसी स्थिति में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाना चाहिए. 

महाराष्ट्र में कब-कब लगा राष्ट्रपति शासन

महाराष्ट्र में एक या दो बार नहीं बल्कि 3 बार ऐसी स्थिति बनी है जब चुनाव नतीजों के बाद राजनीतिक दल मिलकर भी सरकार नहीं बना पाए यानी 145 का आंकड़ा तो पार कर लिया लेकिन सरकार नहीं बनी. अब अगर दोबारा ये स्थिति बनती है तो प्रदेश में ऐसा चौथी बार होगा जब राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा. 

इससे पहले 2014 में प्रदेश में एक महीने तक राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. जबकि इससे पहले की बात की जाए तो 1980 में भी महाराष्ट्र में प्रेसिडेंशियल रूल लागू हुआ. वहीं इससे ठीक पहले वाले यानी 2019 के विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश में 11 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. 

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