Operation Sindoor: भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) की सोमवार दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई . पहले दौर में तीनों प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी शाखाओं के बारे में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी अहम जानकारियां दीं. इसके बाद पहला सवाल न्यूज नेशन के पत्रकार मधुरेंद्र कुमार ने पूछा. उन्होंने कहा, प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू करने से पहले सेना ने एक वीडियो चलाया जिसमें राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां बैकग्राउंड में थीं. वीडियो में शिव तांडव स्तोत्रम था. इसके जरिए आप दुश्मन को क्या संदेश देना चाह रहे थे?
इस सवाल को लोकसभा के चीफ व्हिप डॉ संजय जायसवाल ने भी सराहाया है. उन्होंने न्यूज नेशन के वीडियो को ट्वीट किया है. पोस्ट किया,"याचना नहीं अब रण होगा" ये प्रश्न चंपारण के वरिष्ठ पत्रकार मधुरेन्द्र कुमार ओर से पूछे गए. जवाब में एयर मार्शल ए के भारती ने रामचरितमानस से "भय बिन होत न प्रीत" का संदेश दिया.
"याचना नहीं अब रण होगा" ये प्रश्न चंपारण के वरिष्ठ पत्रकार श्री मधुरेन्द्र कुमार द्वारा पूछे गए। जवाब में एयर मार्शल ए...
Posted by Sanjay Jaiswal on Monday, May 12, 2025
इस तरह बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसे पोस्ट किया. उन्होंने रामायण की चौपाई को दोहराया.
आपको बता दें कि प्रेसवार्ता में एयर मार्शल ए.के.भारती इस सवाल से काफी प्रसन्न दिखे. उन्होंने पत्रकार का नाम पूछा और फिर एजेंसी पूछी ताकि इसे नोट किया जा सके. इस सवाल को उन्होंने सराहा भी. पत्रकार की ओर से बताई गई पंक्तियां राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध महाकाव्य कविता "रश्मिरथी" से थीं, खास तौर पर 'कृष्ण की चेतावनी' खंड से. यह उसकी लाइनें थीं.
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला.
जब नाश मनुज पर छाता है, पहले
विवेक मर जाता है.
हरि ने भीषण हुँकार किया, अपना
स्वरूप विस्तार किया.
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान
कुपित हो कर बोले.
जंजीर बढ़ा अब साध मुझे, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे.
हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
इस संदर्भ में जवाब देते हुए ए.के. भारती ने रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से जवाब दिया. बिना इधर-उधर देखे, उन्होंने धाराप्रवाह रूप से निम्नलिखित संदेश सुनाया:
बिनय न मानत जलधि जड़
गए तीनि दिन बीति.
बोले राम सकोप तब
भय बिनु होइ न प्रीति.