रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध और वहां की अस्थिर राजनीतिक स्थिति ने भारतीय छात्रों को मेडिकल शिक्षा के लिए नए विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है. ऐसे में मध्य एशिया का शांत, स्थिर और अपेक्षाकृत सुरक्षित देश किर्गिस्तान एक उभरते हुए नए ठिकाने के रूप में सामने आ रहा है. खासकर दिल्ली, पटना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत जैसे राज्यों के छात्र अब मेडिकल की पढ़ाई के लिए किर्गिस्तान की ओर रुख कर रहे हैं.
हाल के वर्षों में किर्गिस्तान ने मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में ठोस सुधार किए हैं. बिश्केक में इंटरनेशनल हायर स्कूल ऑफ मेडिसिन जैसे संस्थानों ने भारतीय छात्रों को आकर्षित किया है. IHSM को WHO, FAIMER और ECFMG जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मान्यता प्राप्त है और संस्थान दावा करता है कि उसका पाठ्यक्रम भारत की राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है. IHSM के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संस्थान भारतीय छात्रों को सिर्फ आधुनिक चिकित्सा शिक्षा ही नहीं, बल्कि रहने, भोजन और सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया कराता है.
पूर्व भारतीय छात्रा ने साझा किया अनुभव
एक पूर्व भारतीय छात्रा, जिन्होंने हाल ही में किर्गिस्तान से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है, बताती हैं, "शुरुआत में डर था कि विदेश जा रही हूं, लेकिन पहले ही हफ्ते में कॉलेज और हॉस्टल ने अपनापन दे दिया. इंडियन मेस, अनुभवी फैकल्टी और अस्पतालों में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग जैसी सुविधाओं ने इसे यादगार अनुभव बना दिया. सबसे बड़ी बात यह रही कि हमें एजेंटों से दूर रहकर सीधी प्रवेश प्रक्रिया का लाभ मिला."
एजेंटों के जाल से राहत
अक्सर देखा गया है कि विदेश में पढ़ाई के नाम पर फर्जी एजेंट छात्रों को भ्रमित करते हैं. लेकिन किर्गिस्तान में कई संस्थान सीधे प्रवेश प्रक्रिया अपनाते हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका सीमित हो गई है. इससे छात्रों और उनके अभिभावकों को पारदर्शिता और सुरक्षा का भरोसा मिलता है.
शिक्षा विशेषज्ञों की राय
विदेश में शिक्षा नीति से जुड़े एक भारतीय विशेषज्ञ का कहना है, "सरकार को उन देशों की सूची जारी करनी चाहिए जहां शिक्षा गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप और भरोसे के साथ दी जा रही है. किर्गिस्तान इस दिशा में एक मजबूत उदाहरण बन सकता है."
भारतीय निवेश से बन रहा अनुकूल माहौल
किर्गिस्तान में मेडिकल संस्थानों में भारतीय निवेश के चलते न सिर्फ शिक्षण ढांचा सुधरा है, बल्कि भारतीय संस्कृति, भाषा और खानपान जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं. इससे छात्रों को विदेश में भी घरेलू माहौल का अनुभव होता है.
मेडिकल शिक्षा का नया नक्शा
देश के कई हिस्सों, खासकर दिल्ली, पटना, मध्य प्रदेश, बिहार और दक्षिण भारत से हर साल सैकड़ों छात्र किर्गिस्तान में दाखिला ले रहे हैं. यह रुझान अब सिर्फ शहरी नहीं, बल्कि अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों तक पहुंच चुका है.
क्या रखें ध्यान?
विदेश में मेडिकल की पढ़ाई का फैसला एक महत्वपूर्ण निर्णय है. छात्रों और अभिभावकों को चाहिए कि वे संस्थानों की मान्यता, पाठ्यक्रम और प्रवेश प्रक्रिया की सही जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से लें. जागरूकता और उचित मार्गदर्शन के साथ किर्गिस्तान जैसे देश एक भरोसेमंद विकल्प बन सकते हैं.