राज्यसभा में सीआईएसएफ जवानों की मौजूदगी को लेकर आज (05 अगस्त) खूब हंगामा हुआ. विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन के वेल (सदन का मुख्य हिस्सा) में सीआईएसएफ की तैनाती पर कड़ा विरोध जताया. उन्होंने इस मुद्दे पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को एक पत्र लिखा था, जिसे बाद में मीडिया में भी जारी किया गया. इस पर सभापति ने नाराजगी जताई और कहा कि यह सदन के नियमों का उल्लंघन है.
खरगे ने कहा कि संसद में सदस्य अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत विरोध कर रहे थे, लेकिन उस दौरान वेल में सीआईएसएफ जवान मौजूद थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यह बेहद आपत्तिजनक है और संसद की गरिमा के खिलाफ है. उन्होंने अपने पत्र में मांग की कि भविष्य में वेल में सीआईएसएफ को तैनात न किया जाए.
खरगे ने यह भी कहा कि उन्होंने विपक्षी दलों की ओर से यह पत्र उपसभापति को लिखा, लेकिन यह समझ से बाहर है कि उस पर आपत्ति क्यों जताई जा रही है.
किरेण रिजिजू ने जताई आपत्ति
इस पूरे मामले पर केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि खरगे जैसे वरिष्ठ नेता से इस तरह की चूक की उम्मीद नहीं की जाती. रिजिजू ने कहा कि रिकॉर्ड में साफ है कि उस दिन सदन में केवल मार्शल मौजूद थे, न कि सीआईएसएफ या दिल्ली पुलिस. ऐसे में विपक्ष के नेता ने गलत जानकारी दी और जनता को गुमराह किया.
किरेण रिजिजू ने कहा कि जब विपक्ष के नेता खुद सभापति को गलत तथ्य देकर पत्र लिखते हैं और उसे मीडिया में जारी करते हैं, तो यह गंभीर मामला है. रिजिजू ने सवाल उठाया कि इस पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए?
रिजिजू ने सभापति से मांग की कि खरगे के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. आपको बता दें कि सभापति ने भी पत्र के मीडिया में जाने पर चिंता जताई और कहा कि यह संसदीय मर्यादा के खिलाफ है. उन्होंने इसे नियमों का उल्लंघन करार दिया. इस तरह राज्यसभा में सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच टकराव और गहरा हो गया है.