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Kerala HC: किसी महिला को सिर्फ इसलिए पति से भरण-पोषण पाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह कमाई के लिए सक्षम है या फिर कभी-कभार काम कर लेती है...ये कहना है केरल हाईकोर्ट का. कोर्ट ने साफ किया कि अगर पत्नी की इनकम फिक्स्ड नहीं है या फिर वह अपना खुद का खर्च नहीं उठा पा रही है तो वह भरण-पोषण यानी एलिमनी की हकदार है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए जस्टिस कौसर एडप्पगाथ ने कहा कि कमाई करने की क्षमता और असल में पर्याप्त कमाई में फर्क है.
मामला एक महिला की याचिका से जुड़ा हुआ है. महिला अपने पति से अलग रहती है और खुद के और अपने दो बच्चों के भरण-पोषण के लिए पति से मांग कर रही है. महिला ने बताया कि वह सिलाई जानती है लेकिन स्थाई काम नहीं है. उसके पास पर्याप्त आमदनी भी नहीं है. उसने अपने पति पर शारीरिक और मानसिक क्रूरता का आरोप लगाया है और इसी वजह से वह अलग रहती है.
इन मामलों का जिक्र किया
केरल हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान, सुनीता कछवाहा बनाम अनिल कछवाहा (2014), शैलजा बनाम खोब्बन्ना (2018) और रजनीश बनाम नेहा (2021) मामले का जिक्र करते हुए कहा कि पत्नी अगर कुछ कमा रही है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है तो वह भरण-पोषण मांग सकती है. महिला इसकी हकदार है.
SC ने कहा था- खुद कमाकर खाइए, आप भी पढ़ी लिखी
22 जुलाई को तलाक के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिला अगर काफी पढ़ी-लिखी है, तो उसे एलिमनी मांगने की बजाय खुद कमाकर खाना चाहिए. महिला ने मुंबई में एक फ्लैट, 12 करोड़ रुपए की एलिमनी और BMW कार मांगी थी. तत्कालीन CJI बी आर गवई की बेंच ने कहा था कि आपकी शादी सिर्फ 18 महीने चली. इसके बाद आप हर महीने 1 करोड़ मांग रही हैं. इतनी पढ़ी-लिखी हैं, फिर नौकरी क्यों नहीं करतीं आप? हाईली क्वालिफाइड एक महिला बेकार नहीं बैठ सकती. आपको मांगना नहीं चाहिए बल्कि खुद कमाकर खाना चाहिए.
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