वायनाड का लैंडस्लाइड बना राष्ट्रीय मुद्दा, पक्ष-विपक्ष में ठना-ठनी

वायनाड में लैंडस्लाइड से 226 से अधिक लोग मारे गए, जिससे इसे केरल की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जा रहा है. अब राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है, लेकिन सरकारी नियमों के अनुसार ऐसी कोई प्रावधान नहीं है.

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Ritu Sharma
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Wayanad Landslides

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Wayanad Landslides: हाल ही में वायनाड में हुई भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग तेज हो गई है. कांग्रेस नेता और वायनाड के सांसद राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस मांग को जोर-शोर से उठाया है. 30 जुलाई को हुए इस भूस्खलन में कम से कम 226 लोगों की जान चली गई और कई लोग अभी भी लापता हैं. इसे दक्षिणी राज्य केरल में हुई सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जा रहा है. इस दुखद घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को केरल पहुंचकर वायनाड जिले के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और राहत कार्यों का जायजा लिया.

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आपको बता दें कि वायनाड के सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया, जिन्होंने प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति को देखने के लिए समय निकाला.

क्या वायनाड की त्रासदी को 'राष्ट्रीय आपदा' कहा जा सकता है?

आपको बता दें कि वायनाड में हुई इस विनाशकारी भूस्खलन को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित करने की मांग पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है. 2013 में लोकसभा में दिए गए तत्कालीन गृह राज्य मंत्री मुल्लप्पली रामचंद्रन के जवाब के अनुसार, ''किसी भी प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है.'' बता दें कि इस जवाब में बताया गया था कि भारत सरकार किसी भी आपदा को गंभीर प्रकृति की आपदा मानने का निर्णय करती है, जिसमें आपदा की तीव्रता और मात्रा, राज्य सरकार की सहायता की क्षमता, राहत देने की वैकल्पिक व्यवस्था आदि को ध्यान में रखा जाता है.

वहीं सरकार के अनुसार, प्राथमिकता आपदा के संदर्भ में त्वरित राहत और सहायता प्रदान करना है. हालांकि, 'गंभीर प्रकृति' की आपदा के लिए, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) से अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है, लेकिन इसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है. राज्य सरकारें प्रमुख रूप से प्राकृतिक आपदाओं के बाद आवश्यक राहत और बचाव कार्यों को अंजाम देने की जिम्मेदार होती हैं.

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केंद्र सरकार की बचाव कार्यवाही

बताते चले कि वायनाड में भूस्खलन के बाद केंद्र सरकार ने त्वरित कार्यवाही करते हुए 1,200 से अधिक कर्मियों को तैनात किया, जिसमें NDRF, सेना, वायु सेना, नौसेना, अग्निशमन सेवाएं और सिविल डिफेंस शामिल थे। इन कर्मियों को बचाव और राहत कार्यों में लगाया गया. केंद्र सरकार ने 100 से अधिक एम्बुलेंस, डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को चिकित्सा सहायता और उपचार के लिए भेजा. इसके अलावा, भारतीय सेना ने वायनाड में 190 फीट लंबा बेली पुल बनाया, जो कि भारी मशीनरी और एम्बुलेंस की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ. इस पुल को 71 घंटे में तैयार किया गया, जिससे बचाव कार्यों में तेजी आई और लगभग 200 लोगों को सुरक्षित निकालने में मदद मिली. बता दें कि अब तक, NDRF के बचाव दल द्वारा 30 लोगों को बचाया गया, 520 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया और 112 शवों को बरामद किया गया. केंद्र सरकार ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (IMCT) भी गठित किया है.

केंद्र की सहायता और निधि प्रावधान

साथ ही केंद्र सरकार ने समय पर फंड प्रदान कर केरल की आपदा चुनौतियों का सामना करने में हमेशा मदद की है. इस वर्ष, केरल राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के खाते में 1 अप्रैल को लगभग 395 करोड़ रुपये थे. SDRF की केंद्रीय हिस्सेदारी का पहला किस्त 31 जुलाई को अग्रिम रूप से जारी किया गया, जिसमें 145.60 करोड़ रुपये शामिल थे.

इसके अलावा आपको बता दें कि पिछले पांच वर्षों में मोदी सरकार ने SDRF में केंद्र की हिस्सेदारी के रूप में लगभग 1,200 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जो कुल राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के 1,780 करोड़ रुपये का हिस्सा है. इसके अलावा, सरकार ने पिछले पांच वर्षों में राज्य आपदा शमन कोष के लिए भी 445 करोड़ रुपये जारी किए हैं.

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