Kargil: विक्रम बत्रा…भारत का वह वीर जिसने पाकिस्तानी सैनिकों के उड़ाए छक्के, नाम सुनकर ही कांप जाते थे दुश्मन

कारगिल के युद्ध में भारत ने अपने कई नयाब हीरों को खोया है. इन्हीं में से एक वीर थे- कैप्टन विक्रम बत्रा. कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं उनकी वीरता के कुछ किस्से…

कारगिल के युद्ध में भारत ने अपने कई नयाब हीरों को खोया है. इन्हीं में से एक वीर थे- कैप्टन विक्रम बत्रा. कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं उनकी वीरता के कुछ किस्से…

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Jalaj Kumar Mishra
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Vikram Batra

Vikram Batra

कारगिल युद्ध की जीत हर भारतीय को याद है. कारगिल में भारत के शूरवीरों का साहस की कहानी हमारे रोएं तक खड़े कर देती है. हालांकि, इस युद्ध में हमने सैकड़ों वीरों को खो दिया. युद्ध की शुरुआत मई 1999 में हुआ था, जो करीब दो माह तक चला. दो लाख भारत मां के सपूतों ने युद्ध में अपना अद्वितीय और बेजोड़ साहस दिखाया, जिसका परिणाम है कि भारतीय भूमि से पाकिस्तानियों को दुम दबाकर भागना पड़ा. आज हम जानेंगे युद्ध के एक प्रमुख किरदार कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी, जिनका कहना था कि यह दिल मांगे मोर. विक्रम बत्रा वह नाम है, जिनके नाम से उस वक्त पाकिस्तानी सैनिकों की रूह तक कांप उठती थी. 

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कैप्टन बत्रा जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में पदस्थ थे. बत्रा युद्ध में लगातार जीत हासिल कर रहे थे. इस बीच 7 जुलाई 1999 को उन्हें एक अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्हें चोटी 5140 पर कब्जा करना था, जिसके लिए उन्होंने एक ऑपरेशन शुरू किया. विक्रम ऑपरेशन में सबसे आगे थे. ऑपरेशन के दौरान उनकी पलटन को दुश्मनों की भारी गोलियां झेलनी पड़ी. खतरा बहुत था, पर मां भारती के मतवाले क्या गोलियों से डरकर पीछे हटने वाले थे. नहीं. बिल्कुल नहीं. विक्रम बत्रा आगे बढ़ रहे थे, बत्रा के पीछे-पीछे उनकी पूरी पलटन दुश्मनों की गोलियां खाते-खाते आगे बढ़ रही थी. आखिरकार बत्रा अपनी पलटन के साथ चोटी पर पहुंच गए. यहां उन्होंने भारत का परचम लहराया. बत्रा की पलटन से पाकिस्तानियों को इस बार भी मुंह की खानी पड़ी.  

साथी को बचाते-बचाते वीरगति को प्राप्त हुए बत्रा

बत्रा हमेशा अपने साथियों से आगे रहे. उनकी वीरता का एक किस्सा और है. कारगिल के दौरान ही बत्रा को पता चला कि उनके राइफलमैन संजय कुमार घायल हो गए हैं, वे पाकिस्तानियों की फाइरिंग रेंज में फंसे हुए हैं. बत्रा ने अपने जान की परवाह किए बिना वहां चले गए. वह खुली पहाड़ी का क्षेत्र था. बावजूद इसके वे राइफलमैन संजय को लेकर वापस आ गए. हालांकि, इस दौरान उन्हें दुश्मनों की गोली लग गई थी पर अपने अंतिम समय तक वे लड़ते रहे. राइफलमैन का जीवन बचाते-बचाते बत्रा खुद वीरगति को प्राप्त हो गए. भारत सरकार ने उनके बेजोड़ साहस और पराक्रम का सम्मान किया और उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया. 

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