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एक देश-एक चुनाव से सबंधित विधेयकों की समीक्षा को लेकर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की तीसरी बैठक मंगलवार को संसद भवन में पेश हुई. इस दौरान कई अहम पहलुओं पर चर्चा हुई. भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी समेत कई अन्य कानूनी विशेषज्ञों ने राय दी. आपको बता दें कि सरकार ने एक देश-एक चुनाव को अमली जामा पहनाने को लेकर दो- दो विधेयक लोकसभा में पेश किए. इनमें 129वां संविधान संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को शामिल किया गया.
जेपीसी की बैठक में पूर्व सीजेआई यूयू ललित का कहना है कि देश में एक साथ चुनाव कराए जाने से संसाधनों के साथ समय की बचत होगी. मगर इसके साथ संवैधानिक और राजनीतिक पहलुओं पर बयान सामने आने चाहिए. एक देश-एक राष्ट्र पर अपनी रिपोर्ट को पेश करने वाली पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के सचिव नितेन चंद्रा का कहना कि विधेयक असंवैधानिक नहीं है. संविधान में ऐसा बिल्कुल भी नहीं कहा गया है कि चुनाव का टाइम फ्रेम तय नहीं हो सकता है. यह मात्र चुनावों की समय सीमा को तय करने की बात है.
ईवीएम की देखरेख और रखरखाव कैसे हो सकेगा?
इस दौरान बैठक में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी अहम सवाल किया. उन्होंने पूछा कि क्या हमारे पास इतनी ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) मौजूद हैं कि हम एक साथ चुनाव को करा पाएंगे. उन्होंने सवाल किया कि ईवीएम की देखरेख और रखरखाव कैसे हो सकेगा? एक साथ चुनाव के लिए क्या तरीका होने वाला है.
लोजपा (रामविलास) की सांसद सांभवी चौधरी ने पूछा अगर चुनावों का वक्त तय होता है तो सरकारों के प्रति जवाबदेही पर क्या असर होने वाला है? एक बार सरकार बनने के बाद लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही किस तरह से तय होगी? इस बैठक में सभी सांसदों ने मध्यावधि चुनाव को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, यदि कहीं मिड-टर्म चुनाव होंगे और किसी को बहुमत नहीं मिलता. तो हंग मैंडेट हो जाएगा. ऐसे हालात में क्या होगा?
इस बैठक में पूर्व जस्टिस और लॉ कमीशन के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने बिल का साथ दिया. उन्होंने कहा कि यदि देश में एकसाथ चुनाव कराए जाएं, तो इससे संसाधनों और पैसे की बचत होगी. उनके अनुसार, यह कदम प्रशासनिक स्तर पर आरामदायक होगा. चुनावी प्रक्रिया अधिक आसान होगी.