‘लड़कियां बालिग, मर्जी से आश्रम में रह रहीं’, SC ने सद्गुरु वासुदेव को दी बड़ी राहत, फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद

Jaggi Vasudev News: सुप्रीम कोर्ट से सद्गुरु जग्गी वासुदेव को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने 2 लड़कियों को बंधक मामले में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद कर दिया है.

Jaggi Vasudev News: सुप्रीम कोर्ट से सद्गुरु जग्गी वासुदेव को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने 2 लड़कियों को बंधक मामले में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद कर दिया है.

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Ajay Bhartia
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‘लड़कियां बालिग, मर्जी से आश्रम में रह रहीं’, SC ने सद्गुरु वासुदेव को दी बड़ी राहत, फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद

Jaggi Vasudev News: सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मामला बंद कर दिया है. एक शख्स ने आरोप लगाया था कि कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन कैंपस में उसकी दो बेटियों को बंधक बनाकर रखा गया है. उसने इसके खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका भी दायर की थी. कोर्ट ने ये कहते हुए फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद कर दिया कि लड़कियां बालिग हैं और मर्जी से आश्रम में रह रही हैं.

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'मर्जी से आश्रम में रह रहीं लड़कियां'

ईशा फाउंडेशन पर लगे आरोपों पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि, 'दोनों महिलाएं बालिग हैं. दोनों ने कहा है कि वे स्वेच्छा और बिना किसी दबाव के आश्रम में रह रही थीं.' महिलाओं के कोर्ट में दिए बयान के बाद ईशा फाउंडेशन के खिलाफ उनके पिता की ओर से लगाए आरोप कोर्ट में खारिज हो गए.

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क्या है पूरा मामला

रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी बड़ी बेटी गीता (42 वर्षीय) और छोटी बेटी लता (39 साल) को ब्रेनबॉश करके आश्रम में रखा गया है. इसके बाद मामले में जांच के आदेश दिए गए थे. हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने का आदेश तमिलनाडु पुलिस को दिया. इसके बाद करीब 150 पुलिसकर्मी फाउंडेशन की जांच करने पहुंचे.

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SC पहुंचा ईशा फाउंडेशन

मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. ईशा फाउंडेशन ने कोर्ट में बताया कि दोनों लड़कियां अपनी स्वेच्छा से आश्रम में रह रही हैं. उनके ऊपर फाउंडेशन ने कोई दवाब नहीं बनाया है. लड़कियों के पिता के आरोप बेबुनियाद हैं. पिछली सुनवाई में एक युवती ने माना था कि वह अपनी स्वेच्छा से आश्रम में हैं. उन्होंने आठ साल से अपने पिता पर परेशान करने का आरोप भी लगाया.

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