Indian Navy को मिला 'तीसरा ब्रह्मास्त्र', INS Aridhaman की रेंज में अब पूरा पाकिस्तान और आधा चीन, जानिए खासियत

भारतीय नौसेना को आईएनएस अरिधमान (S4) के रूप में तीसरी परमाणु पनडुब्बी मिल गई है. यह अरिहंत क्लास की पनडुब्बी है लेकिन उससे कहीं ज्यादा ताकतवर है. इसमें 3,500 किलोमीटर तक मार करने वाली K-4 मिसाइलें लगी हैं. इससे भारत की जल, थल और वायु से परमाणु हमला करने की क्षमता (न्यूक्लियर ट्रायड) बहुत मजबूत हो गई है.

भारतीय नौसेना को आईएनएस अरिधमान (S4) के रूप में तीसरी परमाणु पनडुब्बी मिल गई है. यह अरिहंत क्लास की पनडुब्बी है लेकिन उससे कहीं ज्यादा ताकतवर है. इसमें 3,500 किलोमीटर तक मार करने वाली K-4 मिसाइलें लगी हैं. इससे भारत की जल, थल और वायु से परमाणु हमला करने की क्षमता (न्यूक्लियर ट्रायड) बहुत मजबूत हो गई है.

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Ravi Prashant
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ins aridhaman nuclear submarine

आईएनएस अरिधमान Photograph: (X)

हिंद महासागर में अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए भारतीय नौसेना ने एक और बड़ा कदम उठाया है. भारत की रणनीतिक ताकत में एक नया अध्याय जुड़ गया है, जिसका नाम है- आईएनएस अरिधमान (INS Aridhaman. यह भारत की तीसरी न्यूक्लियर-पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन (SSBN) है.

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आसान भाषा में कहें तो यह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ऐसी पनडुब्बी है जो पानी के अंदर से ही परमाणु मिसाइल दागने की क्षमता रखती है. आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात के बाद यह भारत का तीसरा और अब तक का सबसे घातक हथियार है. आइए जानते हैं कि यह पनडुब्बी भारत के लिए गेम चेंजर क्यों है.

अरिहंत से कितनी अलग और ताकतवर?

आईएनएस अरिधमान तकनीकी रूप से अरिहंत-क्लास का ही एक स्टैंडर्ड वेरिएंट है, लेकिन ताकत और आकार में यह अपने बड़े भाइयों से काफी आगे है. जहां पहली पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत केवल 750 किलोमीटर रेंज वाली के-15 मिसाइलें ले जा सकती थी, वहीं आईएनएस अरिधमान को लंबी दूरी की जंग के लिए तैयार किया गया है.

दोगुनी मारक क्षमता: इस पनडुब्बी में 8 मिसाइल लॉन्च ट्यूब्स हैं, जबकि अरिहंत में केवल 4 थीं. इसका मतलब है कि यह दोगुनी मात्रा में गोला-बारूद लेकर चल सकती है.

K-4 मिसाइल का दम: इसमें k-4 बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं, जिनकी मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर तक है. इसका सीधा मतलब है कि बंगाल की खाड़ी में रहते हुए भी यह पनडुब्बी चीन के कई हिस्सों और पूरे पाकिस्तान को अपने निशाने पर ले सकती है. 

न्यूक्लियर ट्रायड का असली रक्षक

किसी भी महाशक्ति देश के लिए 'न्यूक्लियर ट्रायड' का होना बहुत जरूरी होता है. ट्रायड का मतलब है- जमीन, हवा और पानी तीनों जगहों से परमाणु हमला करने की क्षमता.भारत के पास ग्राउंड से अटैक करने के लिए अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें हैं. वहीं, हवा से कहर बरपाने के लिए राफेल, सुखोई और मिराज जैसे फाइटर जेट्स हैं. वहीं, बात जब पानी से हमले करने की बात आती है तो फिर आईएनएस अरिधमान इस कड़ी को और मजबूत करती है. 

ट्रायड का अहम हिस्सा पनडुब्बी

पनडुब्बी को ट्रायड का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है क्योंकि जमीन और हवाई ठिकानों को दुश्मन उपग्रह (सैटेलाइट) से देख सकता है और पहले हमले में नष्ट कर सकता है. लेकिन परमाणु पनडुब्बी महीनों तक समुद्र की गहराई में छिपी रहती है. अगर भारत पर कोई परमाणु हमला होता है, तो आईएनएस अरिधमान पानी के नीचे से ही जवाबी हमला (Second Strike) करके दुश्मन को बर्बाद करने की गारंटी देती है.

कब हुई लॉन्च और क्या हैं फीचर्स?

आईएनएस अरिधमान को विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में बेहद गोपनीय तरीके से तैयार किया गया है. खबरों के मुताबिक, इसे 2021 में ही पानी में उतार दिया गया था (सॉफ्ट लॉन्च) और तब से इसके कड़े परीक्षण चल रहे थे, जिसके बाद अब यह नौसेना की ताकत बनने के लिए तैयार है.

लंबाई और वजन: यह पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से लंबी है. इसका वजन (Displacement) भी अरिहंत के 6,000 टन से ज्यादा है.

रिएक्टर: इसमें 83 मेगावाट का प्रेशराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर लगा है, जो इसे असीमित समय तक पानी के अंदर रहने की शक्ति देता है. इसे सतह पर आने की जरूरत तभी पड़ती है जब चालक दल के लिए राशन खत्म हो जा.

दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी

आईएनएस अरिधमान का नौसेना में शामिल होना पड़ोसी मुल्कों, खासकर चीन के लिए चिंता का विषय है. चीन लगातार हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है. ऐसे में 3,500 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों से लैस यह पनडुब्बी भारत को रणनीतिक बढ़त दिलाती है. यह न सिर्फ रक्षा का काम करेगी, बल्कि दुश्मन के मन में यह डर भी पैदा करेगी कि भारत पर हमला करने का अंजाम बहुत बुरा होगा. 

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