Operation Sindoor में भारतीय सेना ने दिखाई तकनीकी दक्षता, AI और स्वदेशी प्रणालियों से दुश्मन के खिलाफ निर्णायक बढ़त, बनाया स्वदेशी चैट GPT

ले. जनरल साहनी के अनुसार, सेना द्वारा विकसित होम-ग्रोन इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस कोलेशन एप्लिकेशन को बेहद कम समय में अपडेट किया गया ताकि ऑपरेशन सिंदूर की जरूरतों के अनुरूप इसे तैयार किया जा सके।

ले. जनरल साहनी के अनुसार, सेना द्वारा विकसित होम-ग्रोन इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस कोलेशन एप्लिकेशन को बेहद कम समय में अपडेट किया गया ताकि ऑपरेशन सिंदूर की जरूरतों के अनुरूप इसे तैयार किया जा सके।

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Madhurendra Kumar
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Indian Army Op Sindoor (1)

Photo Courtsey Adgpi

भारतीय सेना ने हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी उन्नत तकनीकी और AI बेस्ड टेक्नोलॉजी का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (DG EME) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव साहनी ने बताया कि इस मिशन में सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित 23 से अधिक एआई और डिजिटल एप्लिकेशन का उपयोग किया, जिससे इंटेलिजेंस, निगरानी और लक्ष्य निर्धारण में सटीकता हासिल हुई। सबसे बड़ी बात की सेना ने अपना स्वदेशी चैट GPT भी विकसित किया है जो सैन्य सपोर्ट में बेहतरीन भूमिका निभा रहा है।

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स्वदेशी एप्लिकेशन से सशक्त हुआ खुफिया ढांचा

ले. जनरल साहनी के अनुसार, सेना द्वारा विकसित होम-ग्रोन इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस कोलेशन एप्लिकेशन को बेहद कम समय में अपडेट किया गया ताकि ऑपरेशन सिंदूर की जरूरतों के अनुरूप इसे तैयार किया जा सके। यह प्रणाली अब सभी खुफिया एजेंसियों के बीच साझा मंच के रूप में कार्य कर रही है और इसने शत्रु के सेंसर व इलेक्ट्रॉनिक संकेतों का पता लगाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

AI से सेना की सटीकता में बड़ा सुधार

सेना ने AI-सक्षम मौसम रिपोर्टिंग सिस्टम के जरिए विस्तारित दूरी तक सटीक मौसम आंकड़े जुटाए, जिससे लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले हथियारों की  प्रिसिजन टारगेटिंग और भी सटीक हुई।
ले. जनरल साहनी ने बताया कि AI के इस्तेमाल ने मौसम संबंधी अनिश्चितताओं को कम किया और लक्ष्य पर प्रहार की सफलता दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की।

कॉमन सर्विलांस नेटवर्क से बढ़ी रणनीतिक जागरूकता

सेना की त्रिनेत्र प्रणाली को प्रोजेक्ट संजय के साथ एकीकृत कर एक साझा ऑपरेशनल और इंटेलिजेंस पिक्चर तैयार की गई। इससे सामरिक और परिचालन दोनों स्तरों पर संसाधनों का समन्वय बेहतर हुआ और कमांडरों को रीयल-टाइम निगरानी और निर्णय क्षमता में बढ़त मिली। साथ हीं भारतीय सेना ने प्रीडक्टिव थ्रेट मॉडलिंग को भी अपनाया है, जो समय, स्थान और संसाधनों के जटिल विश्लेषण के माध्यम से संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है।

इस तकनीक के साथ मल्टी-सेंसर और मल्टी-सोर्स डेटा फ्यूजन भी लगभग वास्तविक समय में संभव हुआ है, जिससे सेना अब किसी भी आपात स्थिति पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।

AI में स्वदेशी इनोवेशन

भारतीय सेना ने एआई अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें शुरू की हैं। इनमें भारत के अपने
लार्ज मॉड्यूल और स्मॉल मॉड्यूल लैंग्वेज मॉडल डेवलप किया। आज की तारीख में भारत के पास अपना स्वदेशी चैट GPT है। जिज्ञासा नामक सैन्य जनरेटिव एआई मॉडल का यह निर्माण भारतीय सेना को उन्मुक्त तकनीकी ऐज देता है। इन पहलों का उद्देश्य सैन्य तकनीक को स्वदेशी और आत्मनिर्भर बनाना है।

राष्ट्रीय मिशनों के अनुरूप सेना की डिजिटल पहल

ले. जनरल साहनी ने बताया कि सेना की तकनीकी रणनीति देश के प्रमुख अभियानों जैसे की डिजिटल इंडिया मिशन, नेशनल क्वांटम मिशन और इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन Compute से पूरी तरह मेल खाती है। यह  दृष्टिकोण भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा रहा है।

डिजिटलीकरण से ‘डेटा-सेंट्रिक’ सेना की दिशा में कदम

सेना ने पिछले दो वर्षों में 70 से अधिक डिजिटल एप्लिकेशन विकसित किए हैं। प्रोजेक्ट संजय (Battlefield Surveillance System) उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर सफलतापूर्वक लागू किया गया है, जबकि प्रोजेक्ट अवगत पूरे बल में संचालनात्मक है।

सेना ने डेटा गवर्नेंस पॉलिसी को लागू करते हुए एक डेटा डिक्शनरी तैयार की है, जो सभी सूचनाओं का एकीकृत स्रोत प्रदान करती है। उपयोगकर्ता आधार में 1200 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे डेटा-आधारित निर्णय प्रणाली को और मजबूती मिली है।

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