दस वर्षों के अंदर भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, पांच मॉड्यूल को मिलाकर बनाने की तैयारी

भारत मंडपम में आयोजित विशेष प्रदर्शनी में भारत के अंतरिक्ष स्टेशन के पहले मॉड्यूल का पूर्ण आकार का मॉडल प्रदर्शित किया गया. इसे पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित किया जाएगा.

भारत मंडपम में आयोजित विशेष प्रदर्शनी में भारत के अंतरिक्ष स्टेशन के पहले मॉड्यूल का पूर्ण आकार का मॉडल प्रदर्शित किया गया. इसे पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित किया जाएगा.

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Rahul Dabas
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space station Photograph: (social media)

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर भारत ने दुनिया को संदेश दिया कि आने वाले वर्षों में वह अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने जा रहा है. इसरो ने ऐलान किया कि अगले दस वर्षों के भीतर भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित होगा. यह न केवल तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि होगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की अंतरिक्ष शक्ति को ताकत प्रदान करेगी. 

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इस मौके पर भारत मंडपम में आयोजित विशेष प्रदर्शनी में भारत के अंतरिक्ष स्टेशन के पहले मॉड्यूल का पूर्ण  आकार का मॉडल प्रदर्शित किया गया. मॉडल देखकर दर्शकों को इस बात का आभास हुआ कि आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक प्रयोगशाला कैसी दिखेगी. ये किस तरह से काम करेगी. इस मॉडल में अंतरिक्ष स्टेशन के सभी आवश्यक तत्त्वों को विस्तार से दिखाया गया. इसमें बूस्टर सिस्टम, रोबोटिक आर्म मॉड्यूल, डॉकिंग सिस्टम, स्पेस वॉक सिस्टम, सोलर पैनल, अंतरिक्ष खिड़की और संचार सैटेलाइट एंटीना है. 

पूरा स्टेशन पांच मॉड्यूल से मिलकर तैयार होगा

विशेषज्ञों की मानें तो पूरा स्टेशन पांच मॉड्यूल से मिलकर तैयार होगा. इसका कुल वजन करीब 52 टन होगा.  इसे पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित किया जाएगा. इस ऊंचाई पर वैज्ञानिक प्रयोग, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) से जुड़े अध्ययन और नई तकनीकों के परीक्षण किए जा सकेंगे. स्टेशन की संरचना इस तरह से तैयार की गई है कि वैज्ञानिकों को न केवल लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने की सुविधा मिलेगी, बल्कि वे विविध प्रयोग भी कर सकेंगे.

भारत का यह महत्वाकांक्षी कदम उसे उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला खड़ा करेगा, जिनके पास अपना स्वतंत्र स्पेस स्टेशन है. सोवियत रूस ने ‘मीर’ स्टेशन के जरिये यह उपलब्धि हासिल की थी, जबकि चीन के पास पहले से अपना स्पेस स्टेशन मौजूद है. अमेरिका अभी तक स्वतंत्र रूप से अपना स्पेस स्टेशन स्थापित नहीं कर पाया है और वह जापान, यूरोपीय संघ तथा रूस के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) का संचालन करता है. ऐसे में भारत का यह प्रयास विश्व पटल पर उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा.

इसरो के अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना केवल अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ही योगदान नहीं देगी, बल्कि भारत की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी. इससे देश के युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को अंतरिक्ष में प्रयोग और अनुसंधान का सीधा अवसर मिलेगा. इसके साथ ही अंतरिक्ष में भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होगा.

गगननॉट्स को चंद्रमा पर भेजने की भी तैयारी कर रहा

भविष्य की योजनाओं पर नजर डालें तो इसरो 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों-गगननॉट्स को चंद्रमा पर भेजने की भी तैयारी कर रहा है. यह योजना न केवल भारत के लिए बल्कि समूची मानवता के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगी. राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर प्रदर्शित इस मॉडल ने साफ संकेत दिया है कि भारत आने वाले समय में न केवल उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष अभियानों में, बल्कि दीर्घकालिक अंतरिक्ष निवास और अनुसंधान में भी अग्रणी भूमिका निभाने वाला है. 

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