केंद्र सरकार ने सोमवार को भारत में ग्लोबल कार मैन्युफैक्चरर्स से इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट में निवेश को बढ़ाने को लेकर नई स्कीम को लॉन्च किया. इस स्कीम का लक्ष्य भारत को इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करना है. सरकार ने ग्लोबल कार कंपनियों जैसे टेस्ला से इस स्कीम के तहत निवेश को आकर्षित करने को लेकर कई प्रावधान किए हैं.
4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा
इस स्कीम में कई कंपनियों को आवेदन स्वीकृत होने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि को लेकर 15 प्रतिशत की कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35 हजार डॉलर के सीआईएफ (कॉस्ट इंश्योरेंस और फ्रेट वैल्यू) के साथ इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों को पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) को आयात करने की इजाजत दी जाएगी. स्कीम के तहत जिन आवेदकों का आवदेन स्वीकृत होता है. उन्हें कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा.
अधिकतम 8 हजार यूनिट्स का ही आयात करेंगी
इस स्कीम में कार कंपनियां एक साल में अधिकतम 8 हजार यूनिट्स का ही आयात करेंगी. इसके साथ आयात सीमा को अगले साल के लिए लिया जा सकता है. अधिसूचना के तहत इस योजना में आयात की जाने वाली इलेक्ट्रिक वाहनों की अधिकतम संख्या ऐसी होगी कि प्रति आवेदक अधिकतम शुल्क छूट 6,484 करोड़ रुपए या न्यूनतम निवेश सीमा 4,150 करोड़ रुपए तक होगी.
मेक इन इंडिया के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता देगी
अधिकसूचना के तहत अगर योजना के तहत निवेश ब्राउनफील्ड परियोजना पर किया गया है तो मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं के साथ स्पष्ट भौतिक सीमांकन किया जाना चाहिए. आधिकारिक बयान के अनुसार, इस योजना से ग्लोबल ईवी मैन्युफैक्चरर्स से निवेश को आकर्षित करने और भारत को ई-वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने में सहायता मिलेगी. वहीं योजना भारत को ईवी मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल मैप पर लाने, रोजगार सृजन और मेक इन इंडिया के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता देगी.