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India Germany Relation: हाल ही में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा दी है. इस बातचीत में वैश्विक मुद्दों से लेकर आर्थिक, तकनीकी और रणनीतिक सहयोग पर व्यापक चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि भारत और जर्मनी अब अपने रिश्तों को केवल कूटनीतिक दायरे में नहीं, बल्कि व्यापार और नवाचार में भी नई ऊंचाइयों तक ले जाने को प्रतिबद्ध हैं.
व्यापारिक रिश्तों को दोगुना करने की प्रतिबद्धता
बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि भारत और जर्मनी अगले कुछ वर्षों में अपने द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने की दिशा में मिलकर काम करेंगे. वर्तमान में यह व्यापार लगभग 50 बिलियन यूरो का है. वाडेफुल ने जोर देकर कहा कि जर्मनी इस लक्ष्य को पाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा, और जयशंकर ने भी भारत की ओर से सहयोग का पूरा भरोसा दिलाया.
इस दौरान यूरोपीय संघ और भारत के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर सकारात्मक संकेत मिले. वाडेफुल ने कहा कि यह समझौता अगले कुछ महीनों में पूरा हो सकता है, जिससे दोनों पक्षों के लिए व्यापार की नई संभावनाएं खुलेंगी.
भारत में जर्मन कंपनियों के लिए अनुकूल माहौल
जयशंकर ने विशेष रूप से इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत सरकार जर्मन कंपनियों को यहां कारोबार में किसी तरह की बाधा नहीं आने देगी. उन्होंने भरोसा दिलाया कि निवेश और व्यापार के लिए भारत एक भरोसेमंद और स्थिर मंच प्रदान करता रहेगा. यह आश्वासन उन जर्मन निवेशकों के लिए खास है जो भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने को लेकर उत्साहित हैं.
विज्ञान, तकनीक और नवाचार में नई भागीदारी
तकनीकी सहयोग को नई ऊंचाई देने के लिए वाडेफुल ने बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और इसरो का दौरा किया. उन्होंने भारत को "नवाचार का पावरहाउस" करार देते हुए कहा कि जर्मनी भारत के साथ मिलकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में काम करेगा.
जयशंकर ने कहा कि अब वक्त है कि पचास साल पुराने वैज्ञानिक सहयोग को उद्योग और व्यापार से जोड़ा जाए. खासकर एयरोस्पेस और तकनीकी निर्माण में जर्मनी की रुचि का भारत ने गर्मजोशी से स्वागत किया.
भारत और जर्मनी के बीच यह नई पहल न केवल व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भी दोनों देशों को एकजुट करेगी. यह साझेदारी आने वाले वर्षों में वैश्विक मंच पर एक मजबूत रणनीतिक गठबंधन का रूप ले सकती है.
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