पाकिस्तान और चीन के होश उड़ाएगी मोदी सरकार, तैयार हो गया ये एक्शन प्लान

पाकिस्तान और चीन की अब खैर नहीं रहेगी. जी हां भारत ने अपनी सीमा पर नजर उठाने वालों को लेकर एक बड़ा एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. आइए जानते हैं क्या है मोदी सरकार की तैयारी.

पाकिस्तान और चीन की अब खैर नहीं रहेगी. जी हां भारत ने अपनी सीमा पर नजर उठाने वालों को लेकर एक बड़ा एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. आइए जानते हैं क्या है मोदी सरकार की तैयारी.

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Dheeraj Sharma
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India big Action Plan Against Pakistan and China

ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को धूल चटाने के बाद भारत एक बार फिर एक्शन मोड में है. जी हां अपने दुश्मनों पर सीधी नजर रखने के साथ उनकी गतिविधियों आंकने के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. इसके बाद पाकिस्तान से लेकर चीन तक सीमा पर भारत के खिलाफ कोई कदम उठाने से पहले 100 बार सोचेंगे. दरअसल  भारत अब अंतरिक्ष के जरिए अपनी सैन्य ताकत को अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. क्या है मोदी सरकार का एक्शन प्लान आइए जानते हैं. 

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ऐसे रखी जाएगी पाकिस्तान और चीन पर पैनी नजर

पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, भारत ने अब एक नई रणनीति के तहत अपनी सुरक्षा प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ करने का निर्णय लिया है. इसके अंतर्गत भारत 2029 तक कुल 52 AI-बेस्ड डिफेंस सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में तैनात करेगा, जो चीन और पाकिस्तान की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेंगे. 

26,968 करोड़ की योजना को मिली मंजूरी

इस महत्वाकांक्षी परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने अक्टूबर 2024 में मंजूरी दी थी. इसके तहत भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO 21 सैटेलाइट्स का निर्माण और प्रक्षेपण करेगा. साथ ही, देश की तीन निजी एयरोस्पेस कंपनियों को 31 सैटेलाइट्स तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कुल मिलाकर यह मिशन डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA) के नेतृत्व में संचालित किया जाएगा.

कहां और कैसे होंगे तैनात ये सैटेलाइट?

ये सभी सैटेलाइट्स लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (GEO) में तैनात किए जाएंगे, जिससे इनकी निगरानी क्षमता और कवरेज एरिया अत्यधिक विस्तृत होगा. पहला सैटेलाइट अप्रैल 2026 तक लॉन्च किया जाएगा, हालांकि समयसीमा को और कम करने की कोशिशें जारी हैं. यह अभियान भारत की स्पेस-बेस्ड सर्विलांस योजना के तीसरे चरण (SBS-3) का हिस्सा है.

मिशन का मुख्य उद्देश्य

SBS-3 का प्रमुख उद्देश्य भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर हर गतिविधि की निगरानी करना है. इसके साथ ही ये सैटेलाइट्स हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भी भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे. इन सैटेलाइट्स की मदद से देश को लगातार तस्वीरें, मैसेज और अलर्ट मिलते रहेंगे, जिससे किसी भी संभावित खतरे पर तुरंत कार्रवाई संभव होगी.

भारत को क्यों है इसकी जरूरत?

चीन ने बीते कुछ वर्षों में अपनी अंतरिक्ष ताकत में जबरदस्त इजाफा किया है. 2010 तक जहां उसके पास केवल 36 सैन्य सैटेलाइट थे, वहीं आज उसकी संख्या बढ़कर 1000 से अधिक हो गई है. इनमें से 360+ सैटेलाइट्स निगरानी (ISR) के लिए तैनात हैं. इसके अलावा, चीन के पास एंटी-सैटेलाइट हथियार, को-ऑर्बिटल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर तकनीक और लेजर वेपन भी हैं.

वायुसेना की नई तैयारी

डिफेंस स्पेस मिशन के साथ ही, भारतीय वायुसेना भी तीन नए हाई अल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (HAPS) एयरक्राफ्ट पर काम कर रही है, जो लंबे समय तक ऊंचाई पर उड़ते हुए सीमावर्ती इलाकों की निगरानी करेंगे.

भारत की यह अंतरिक्ष रणनीति केवल निगरानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बहु-आयामी सुरक्षा कवच है जो चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य सक्रियताओं का सटीक जवाब देगा. 52 AI-बेस्ड सैटेलाइट्स के इस नेटवर्क से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक स्थिति और वैश्विक सैन्य ताकत में अभूतपूर्व इजाफा होगा.

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