भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट लैबोरेटरी (DRDL) ने हाइपरसोनिक हथियार तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. DRDL ने 25 अप्रैल, 2025 को अत्याधुनिक स्क्रैमजेट कनेक्ट टेस्ट फैसिलिटी में 1,000 सेकंड से अधिक समय तक सक्रिय शीतलन युक्त स्क्रैमजेट सब-स्केल कम्बस्टर का सफलतापूर्वक ग्राउंड टेस्ट किया. इससे पहले जनवरी 2025 में इस प्रणाली का 120 सेकंड का सफल परीक्षण किया गया था. नवीनतम दीर्घकालिक परीक्षण के साथ अब प्रणाली को फुल-स्केल फ्लाइट-योग्य कम्बस्टर परीक्षण के लिए तैयार किया जा रहा है.
हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल तकनीक में मील का पत्थर
हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना (यानी 6,100 किमी/घंटा से अधिक) तेज गति से उड़ान भरने में सक्षम होती हैं और इनमें एयर-ब्रीदिंग इंजन का उपयोग किया जाता है. स्क्रैमजेट इंजन आधारित यह तकनीक सुपरसोनिक कंबशन को संभव बनाती है, जो लंबी दूरी तक उच्च गति पर निरंतर उड़ान बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है. यह परीक्षण न केवल लंबी अवधि के लिए स्क्रैमजेट कम्बस्टर डिज़ाइन को प्रमाणित करता है, बल्कि इस क्षेत्र में भारत की स्वदेशी क्षमताओं को भी सशक्त करता है. DRDO, उद्योग जगत और शैक्षणिक संस्थानों के संयुक्त प्रयासों का यह परिणाम देश के हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकास कार्यक्रम के लिए मजबूत आधार तैयार करता है.
रक्षा मंत्री और DRDO प्रमुख ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, उद्योग साझेदारों और शिक्षाविदों को इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी है. उन्होंने इसे सरकार की रणनीतिक तकनीकों के विकास के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया. रक्षा अनुसंधान विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने मिसाइल एवं सामरिक प्रणाली के महानिदेशक यू. राजा बाबू, DRDL के निदेशक डॉ. जी. ए. श्रीनिवास मूर्ति और पूरी टीम को अत्याधुनिक तकनीक द्वारा 1,000 सेकंड से अधिक समय तक सुपरसोनिक दहन सिद्ध करने के लिए बधाई दी. यह उपलब्धि भारत को हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा करती है और भविष्य में रक्षा स्वावलंबन की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है.