India Saudi Arabia Deal: 'भारत से जंग हुई तो सऊदी अरब...', पाक मंत्री ख्वाजा आसिफ का बड़ा दावा!

पाकिस्तान ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि यह किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है. यह समझौता केवल रक्षा और सामरिक संतुलन के लिए है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस समझौते की तुलना नाटो के अनुच्छेद पांच से की.

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Mohit Sharma
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पाकिस्तान ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि यह किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है. यह समझौता केवल रक्षा और सामरिक संतुलन के लिए है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस समझौते की तुलना नाटो के अनुच्छेद पांच से की.

पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ नया रक्षा समझौता किया है. इसके तहत किसी एक देश पर हमला दूसरे देश पर हमला माना जाएगा. पाकिस्तान परमाणु हथियारों से लैस एकमात्र मुस्लिम देश है. सऊदी अरब दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देशों में शामिल है. इस वजह से विशेषज्ञ इसे भारत और इजराइल के लिए एक रणनीतिक खतरे के रूप में देख रहे हैं. हालांकि पाकिस्तान ने तुरंत सफाई दी है. उसने कहा है कि यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने का संकेत है.

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क्या बोला पाकिस्तान

पाकिस्तान ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि यह किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है. यह समझौता केवल रक्षा और सामरिक संतुलन के लिए है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस समझौते की तुलना नाटो के अनुच्छेद पांच से की. उन्होंने बताया कि यदि कोई हमला होगा, चाहे वो पाकिस्तान पर हो या सऊदी अरब पर, दोनों देश मिलकर उसका सामना करेंगे. उन्होंने इसे रक्षात्मक समझौता बताया और कहा कि इसका उद्देश्य किसी पर आक्रमण करना नहीं है. ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यह साझेदारी क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिए बनाई गई है. रॉयर्स की रिपोर्ट के अनुसार ख्वाजा आसिफ ने दावा किया है कि पाकिस्तान के पास मौजूदा परमाणु हथियार सऊदी अरब की सुरक्षा के लिए उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत सैन्य और परमाणु क्षमताएं साझा की जाएंगी. उन्होंने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान ने हमेशा अपने परमाणु कार्यक्रम की पारदर्शिता बनाए रखी है और किसी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं किया है. इस समझौते पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए समझौते का उद्देश्य स्पष्ट है. अगर किसी एक पक्ष को खतरा होगा तो दूसरा पक्ष उसकी रक्षा करेगा.

भारत सरकार ने इस समझौते पर प्रक्रिया दी

दोनों देशों ने इसे रणनीतिक पारस्परिक सहायता का हिस्सा बताया है. भारत सरकार ने इस समझौते पर प्रक्रिया दी है. उसने कहा कि यह दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रही साझेदारी को औपचारिक रूप देता है. भारत इस समझौते के निहतार्थों के अध्ययन कर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्रीय रणनीति और सुरक्षा संतुलन को प्रभावित कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकारों की मानें तो पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच यह साझेदारी उनकी सामरिक स्थिति को मजबूत करती है. वहीं, भारत के लिए यह संकेत है कि पड़ोसी देशों के बीच सुरक्षा सहयोग और गहराता जा रहा है. सामरिक रूप से यह समझौता दोनों पक्षों को किसी भी संभावित संकट के लिए तैयार रहने में मदद करेगा. ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि समझौते का उद्देश्य केवल सुरक्षा है. आक्रामक कार्यवाही के लिए इसका इस्तेमाल नहीं होगा. उन्होंने नाटो का उदाहरण देते हुए बताया कि सामूहिक रक्षा केवल सुरक्षा की गारंटी देती है. आक्रमण की नहीं. इस समझौते के बाद पाकिस्तान और सऊदी अरब दोनों ही किसी भी संभावित संकट के लिए तैयार दिखते हैं. 

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