अगर 2010 से 2014 की बात करें तो इन 4 सालों में रक्षा आयात में रूस की हिस्सेदारी 72% रही. जबकि 2019 आते-आते यह घटकर 55% रह गई. थोड़ा आसान भाषा में इसको समझिए.
आज का भारत रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की राह में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. सबसे अच्छी खबर यह है कि भारत पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों से लेकर दूसरे अत्याधुनिक हथियारों को खुद से बनाने में जुटा है. सोचिए रूस कभी भारत का सबसे बड़ा और एकमात्र रक्षा साझेदार हुआ
करता था. लेकिन आज हालात बदल गए हैं. और सबसे बड़ी बात स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टट्यूट की रिपोर्ट बताती है कि जहां 2009 में भारत के कुल रक्षा आयात में रूस की हिस्सेदारी 76% थी वो 2024 में घटकर 36 रह गई है.
अगर 2010 से 2014 की बात करें तो इन 4 सालों में रक्षा आयात में रूस की हिस्सेदारी 72% रही. जबकि 2019 आते-आते यह घटकर 55% रह गई. थोड़ा आसान भाषा में इसको समझिए. तो 2015 से 2024 के बीच यानी बीते 9 सालों में भारत की रूस पर हथियारों की जो निर्भरता है वो 64% कम हो गई है. यहां यह बता देना बहुत जरूरी है कि रूस से हथियारों की खरीद भले ही कम हो गई हो लेकिन भारत और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार की वर्षों में काफी मजबूत पिछले वर्षों में हुआ है. मई 2025 की बात करें तो अकेले इस महीने में भारत रूस से ऊर्जा का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है.