India Pakistan War Siren: जम्मू के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से कई एक्शन लिए जा रहे हैं. इस बीच अब केंद्र की मोदी सरकार ने बहुत बड़ा फैसला लेते हुए 7 मई को जंग के सायरन बजाने का ऐलान किया है. इसके तहत देश के 259 शहरों में ये सायरन बजाए जाएंगे. केंद्रीय गृहमंत्रालय ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच मॉक ड्रिल आयोजित की है. मॉक ड्रिल ( Mock drills not) के दौरान लोगों को कैसे अपनी जान बचाना है, इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना है. कहां-कहां ये सायरन बजेंगे. इन सब बातों के जवाब इस लेख में जानते हैं.
इन शहरों में बजेंगे जंग के सायरन
7 मई को केंद्रीय गृहमंत्रालय के निर्देश के मुताबिक देश के 259 शहरों में ये सायरन बजाया जाएगा. इनमें कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं. जम्मू-कश्मीर से लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे प्रमुख राज्यों के कई शहरों में ये सायरन बजाए जाएंगे.
दरअसल ये सायरन कैटेगराइज्ड सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट में बजाए जाएंगे. बता दें कि 1962 में आपातकाल की घोषणा तक सरकार की नागरिक सुरक्षा नीति, राज्यों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों में लोगों की सुरक्षा की जरूरत के बारे में जागरूक करने के लिए इन्हें बजाया गया था. इसके बाद 1965 और 1971 में भी यह सायरन बजा.
क्या मोबाइल भी बजने लगेंगे
हां आपके मोबाइल भी बज सकते हैं. दरअसल जब भी देश में कोई युद्ध, मिसाइल हमला या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो उसे लेकर नागरिकों को सचेत करने के लिए एयर रेड सायरन का इस्तेमाल किया जाता है. यह सायरन आमतौर पर 60 सेकंड तक बजता है और इसका उद्देश्य लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए प्रेरित करना होता है. यह खास ध्वनि आमतौर पर किसी खतरे के पास आने का संकेत देती है, जिससे लोग तुरंत सुरक्षा उपायों को अपनाएं.
भारत में मॉक ड्रिल के दौरान वॉर सायरन की तकनीकी कार्यप्रणाली अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एयर रेड सायरन की विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ देशों में पारंपरिक हवा वाले सायरन का उपयोग किया जाता है, जो एक घूमती हुई डिस्क की मदद से ध्वनि उत्पन्न करते हैं.
तो बजने लगेगी मोबाइल की रिंग
वहीं, अन्य देशों में बिजली से चलने वाले सायरन होते हैं, जिनमें हॉर्न या डायफ्रॉम के माध्यम से आवाज निकलती है. आधुनिक तकनीक में, इलेक्ट्रॉनिक सायरन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जो डिजिटल ध्वनियों के साथ काम करते हैं और इन्हें स्पीकर के जरिए बजाया जाता है. हालांकि, कुछ देशों में इन सायरनों को रेडियो फ्रीक्वेंसी के माध्यम से जोड़ा जाता है, जिससे सायरन बजने पर सीधे नागरिकों के मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों पर चेतावनियां प्राप्त की जा सकती हैं. इस तरह के आधुनिक तंत्र से नागरिकों को जल्द से जल्द सूचित किया जा सकता है, जिससे वे त्वरित और प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया कर सकें.
भारत में मॉक ड्रिल के दौरान अगर ऐसी कोई तकनीकी प्रणाली लागू होती है, तो यह नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
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