Bangladesh Crisis News: बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुई राजनीतिक उथल-पुथल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटने पर मजबूर कर दिया, जिसके बाद देश में हालात तेजी से बिगड़ते चले गए. इन हालातों का सबसे बड़ा असर बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों पर पड़ा, जिनमें हिंदू, ईसाई और अन्य धार्मिक समूह शामिल हैं.
अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया
आपको बता दें कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है. इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है, विशेष रूप से भारत, जो बांग्लादेश के हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. इस संकट की गंभीरता को देखते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर एक विशेष समिति का गठन किया गया है.
गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर गठित समिति की जिम्मेदारी
वहीं अमित शाह द्वारा गठित यह समिति बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की जांच करेगी. इसके साथ ही, समिति मौजूदा हालात का भी गहराई से अध्ययन करेगी और भारत सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट करेगी. अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर बताया कि यह समिति बांग्लादेश में अधिकारियों के साथ लगातार संवाद बनाए रखेगी और वहां रह रहे भारतीय नागरिकों और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.
भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था और बातचीत
बता दें कि गृह मंत्रालय की इस समिति को भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर स्थिति पर नजर रखने की भी जिम्मेदारी दी गई है. बांग्लादेश में रह रहे भारतीय हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारत की अंतरिम सरकार के साथ वन टू वन बातचीत भी की जाएगी. इस बातचीत का उद्देश्य बांग्लादेश में भारतीय समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की पहल
इसके अलावा आपको बता दें कि शेख हसीना के पद से हटने के बाद उपद्रवी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मोदी सरकार बांग्लादेश में भारतीय और हिंदू समुदायों के हितों की रक्षा के लिए सभी संभावित कदम उठाएगी. यह समिति विशेष रूप से बॉर्डर पर स्थिति की निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, ताकि बांग्लादेश में जारी हिंसा से निपटने में मदद मिल सके.