अक्साई चिन में नए काउंटी बनाने पर भारत ने कड़ा विरोध जताया, जानिए पूरा मामला

यह कदम उस समय उठाया गया है जब दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने लगभग पांच साल बाद सीमा वार्ता को फिर से शुरू किया है. नई काउंटियों के मुख्यालय के रूप में होन्गलियु और सेयिदुला टाउनशिप को घोषित किया गया है.

Madhurendra Kumar & Mohit Sharma
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MEA spokesperson Randhir Jaiswal

MEA spokesperson Randhir Jaiswal Photograph: (MEA spokesperson Randhir Jaiswal)

चीन द्वारा होटन प्रीफेक्चर में दो नए काउंटी यानी प्रशासनिक जिले बनाने के ऐलान पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इन तथाकथित काउंटियों के तहत आने वाले कुछ क्षेत्र भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं. MEA के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, "हमने चीन के होटन प्रीफेक्चर में दो नए काउंटी बनाने के संबंध में की गई घोषणा को देखा है. इन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र का कुछ हिस्सा भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आता है. हम इस क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं करते. नए काउंटी का निर्माण भारत की इस क्षेत्र पर संप्रभुता को लेकर हमारी दीर्घकालिक और स्थायी स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा और न ही चीन के अवैध और बलपूर्वक कब्जे को वैधता प्रदान करेगा." जयसवाल ने बताया कि भारत ने इस मामले पर चीन के साथ कूटनीतिक माध्यमों से कड़ा विरोध दर्ज कराया है.

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चीन ने दो नए काउंटी बनाए

पश्चिमोत्तर चीन के झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र की पीपुल्स गवर्नमेंट ने शुक्रवार को दो नए काउंटियों के गठन की घोषणा की. इनका नाम हे’आन काउंटी और हेकांग काउंटी रखा गया है. इन काउंटियों का प्रशासन होटन प्रीफेक्चर द्वारा किया जाएगा और यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की केंद्रीय समिति और स्टेट काउंसिल द्वारा अनुमोदित है.

भारत-चीन सीमा वार्ता के बीच विवाद बढ़ा

यह कदम उस समय उठाया गया है जब दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने लगभग पांच साल बाद सीमा वार्ता को फिर से शुरू किया है. नई काउंटियों के मुख्यालय के रूप में होन्गलियु और सेयिदुला टाउनशिप को घोषित किया गया है.

अक्साई चिन का बड़ा हिस्सा शामिल

विशेष रूप से, हे’आन काउंटी में वह 38,000 वर्ग किलोमीटर का बड़ा हिस्सा शामिल है, जिस पर भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अक्साई चिन का हिस्सा है और चीन ने इस पर अवैध कब्जा कर रखा है. भारत ने चीन के इस कदम को एकतरफा और गैरकानूनी बताते हुए स्पष्ट कर दिया है कि इससे उसकी संप्रभुता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

Aksai Chin MEA spokesperson Randhir Jaiswal
      
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