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पीएम नरेंद्र मोदी Photograph: (X/Narendra Modi)
दिल्ली में आयोजित प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका लेक्चर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की तेज़ रफ्तार प्रगति, आत्मविश्वास और बदलते राष्ट्रीय चरित्र पर विस्तार से अपनी बात रखी. कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने कहा कि भारत आज जिस गति से आगे बढ़ रहा है, वह पूरी दुनिया के लिए एक संकेत है कि देश अब विकास को टालने के मूड में नहीं है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन ऐसी विभूति को समर्पित है, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता, जनभागीदारी और अभिव्यक्ति की शक्ति को नई दिशा दी. उन्होंने कहा, “आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन-आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है. आज का भारत भी इसी रचनात्मक अधीरता का प्रतीक है.”
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि देश अब आत्मनिर्भरता और विकास को लेकर बेहद स्पष्ट और प्रतिबद्ध है. उन्होंने बीते 25 वर्षों का ज़िक्र करते हुए कहा कि 21वीं सदी के शुरुआती दशकों में चुनौतियाँ जरूर आईं, लेकिन भारत की गति कभी रुकी नहीं. प्रधानमंत्री के शब्दों में, “भारत विकसित और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रतिबद्ध है. हमने देखा है कि कैसे 21वीं सदी के पिछले 25 साल बहुत तेजी से बीते हैं, एक के बाद एक चुनौतियां आईं, फिर भी भारत की गति को रोका नहीं जा सका.”
उन्होंने यह भी कहा कि जब दुनिया अनिश्चितताओं और व्यवधानों से घिरी है, उस समय भारत आशा और संभावनाओं का प्रतीक बनकर उभर रहा है. पीएम मोदी ने कहा, “भारत सिर्फ एक उभरता हुआ बाजार नहीं है, बल्कि यह एक उभरता हुआ मॉडल है.” रामनाथ गोयनका की सोच का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें अक्सर ‘अधीर’ कहा जाता था, और यही अधीरता बदलाव की प्रेरक शक्ति बनती थी. उन्होंने कहा, “भारत प्रगति के लिए आतुर है, विकास के लिए बेचैन है और आत्मनिर्भर बनने के लिए दृढ़ है.”
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