India Russia Friendship: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने पहले भारत पर 25% टैरिफ लगाया और फिर भारत रूस के बीच चल रहे तेल व्यापार पर नाराजगी जताई. इसके लिए पेनल्टी लगाने की भी बात कही है. लेकिन भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है कि वो रूस से तेल खरीदना यूं ही जारी रखेगा. आज हम आपको बताएंगे कि भारत और रूस के संबंध कितने पुराने हैं और दोनों देशों के संबंधों और व्यापारों से ट्रंप को आखिर क्या दिक्कत हो रही है. आज के समय में भारत और रूस की दोस्ती एक मिसाल के रूप में कायम है और अमेरिका लाख कोशिशें कर ले और लाख आंखें दिखा ले. पर इन दोनों देशों की दोस्ती पर कोई आंच तक नहीं आती.
अमेरिका को भारत और रूस की दोस्ती कभी भी रास नहीं आई
सोवियत संघ के समय से शुरू हुई यह दोस्ती विघटन के बाद रूस के साथ भी जारी रही. यहां तक कि यूक्रेन के साथ युद्ध के समय जब पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम पाबंदियां लगा दी तब भी भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखा. आज हम आपको बताएंगे कि यह दोस्ती कितनी पुरानी है और भारत और रूस इन दोनों देशों के बीच संबंध कैसे मजबूत होते गए. साथ ही रूस से भारत तेल खरीद रहा है तो ट्रंप को दिक्कत क्यों हो रही है? अमेरिका को भारत और रूस की दोस्ती कभी भी रास नहीं आई है. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग कई दशकों से दोनों देशों की रीड की हड्डी बनी हुई है.
क्या है भारत-रूस दोस्ती का इतिहास
भारत की आजादी के बाद साल 1950 से 1960 के दशक में सोवियत संघ के दौर में दोनों देशों में रक्षा सहयोग की शुरुआत हुई थी. बिग 21 सौदे से शुरू हुआ यह संबंध आज भी कायम है और आईएएस विक्रमादित्य ब्रह्मोस मिसाइल होते हुए एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम तक पहुंच गया है. रूस के साथ यह साझेदारी भारत की रक्षा शक्ति को बेजोड़ बनाए रखने में मदद करती है. अब आपको बताते हैं मिग 21 से लेकर सुखोई 30 एमकेआई तक की पूरी कहानी. यह साल 1962 से लेकर 1963 की बात है जब भारत ने सोवियत संघ के साथ मिग-21 सुपर सोनिक फाइटर जेट के लिए सौदा किया था. इसके साथ ही इंडियन एयरफोर्स के लिए एक नया युग शुरू हुआ और इस फाइटर जेट ने साल 1965 और 1971 की लड़ाईयों में अग्रणी भूमिका निभाई. 1999 की कारगिल की लड़ाई में भी इसने भारत का साथ दिया. यही नहीं बल्कि रणनीतिक रूप से भी हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा और शीत युद्ध के समय शुरू हुई एकजुटता संयुक्त राष्ट्र में समर्थन और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम तक जारी रही.