2025 से आगे कैसा होगा उत्तर-पूर्व भारत? अगरतला में हुआ मंथन

यह ऐतिहासिक आयोजन विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों और विद्वानों को एक मंच पर लेकर आया, जिनमें प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के विद्वान शामिल थे. वक्ताओं ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की संभावनाओं और चुनौतियों पर गहन चर्चा की.

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Mohit Sharma
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Agartala

Agartala Photograph: (News Nation)

आसाम राइफल्स ने एक अभिनव पहल के तहत त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में "नॉर्थईस्ट इंडिया : 2030 और आगे" विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर-पूर्व भारत के विकास और सुरक्षा के भविष्य को लेकर सार्थक संवाद को प्रोत्साहित करना था. संगोष्ठी में त्रिपुरा के राज्यपाल माननीय श्री एन. इंद्रसेन रेड्डी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.

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उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की संभावनाओं और चुनौतियों पर गहन चर्चा

यह ऐतिहासिक आयोजन विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों और विद्वानों को एक मंच पर लेकर आया, जिनमें प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के विद्वान शामिल थे. वक्ताओं ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की संभावनाओं और चुनौतियों पर गहन चर्चा की. इस संगोष्ठी का आयोजन प्रतिष्ठित थिंक-टैंक एशियन कन्फ्लुएंस और सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज (CENJOWS) के सहयोग से किया गया, जो आसाम राइफल्स की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है. इस अवसर पर मेजर जनरल सुरेश भाम्भू, वाईएसएम, एसएम, इंस्पेक्टर जनरल आसाम राइफल्स (ईस्ट) ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र की अपार और अब तक अप्रयुक्त क्षमताओं पर प्रकाश डाला.

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कई प्रतिष्ठित विद्वानों ने भाग लिया

पैनल चर्चा में लेफ्टिनेंट जनरल के. हिमालय सिंह (सेनि), पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, बांग्लादेश में पूर्व उच्चायुक्त और कई देशों में भारत के राजदूत रह चुके अंबेसडर रिवा गांगुली दास, डॉ. प्रभीर डे सहित कई प्रतिष्ठित विद्वानों ने भाग लिया. उन्होंने क्षेत्र की जमीनी चुनौतियों और संभावनाओं को अकादमिक दृष्टिकोण और व्यवहारिक समाधान के साथ प्रस्तुत किया.

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उत्तर-पूर्वी भारत की सुरक्षा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की

समापन सत्र में लेफ्टिनेंट जनरल अभिजीत एस. पेंढारकर, एवीएसएम, वाईएसएम, जनरल ऑफिसर कमांडिंग 3 कोर ने वक्ताओं के योगदान की सराहना की और उत्तर-पूर्वी भारत की सुरक्षा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की. इस संगोष्ठी में सुरक्षा बलों के अधिकारी, पूर्व सैनिक, नीति-निर्माता, सामुदायिक नेता और क्षेत्रीय हितधारकों सहित विविध वर्गों के लोगों ने भाग लिया, जिससे उत्तर-पूर्व भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति एक समावेशी दृष्टिकोण को बल मिला.

Agartala
      
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