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organic farmering Photograph: (social media)
Patanjali News: ऑर्गेनिक खेती आने वाले समय में खेती का भविष्य है. केमिकल का उपयोग करके खेती को अब तक काफी नुकसान हुआ है. यह खेती दुनिया के सामने खड़े आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी कई संकटों को हल करने में सहायता कर रही है. भारत की बात करें तो लोग अब इस बात पर ध्यान देने लगे हैं कि उनका खाना कहां और कैसे उगाया जा रहा है. इसकी वजह से ऑर्गेनिक फूड की डिमांड हर दिन बढ़ रही है. यह तभी संभव हो सकता है, जब देश में ऑर्गेनिक खेती को दोबारा से अपनाया जाए. लोग सस्टेनेबल जीवनशैली की ओर जा रहे हैं. यह भले ही व्यक्तिगत चुनाव हो, लेकिन प्रभाव डालने वाले कारक काफी अहम होते हैं. पतंजलि आयुर्वेद प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण को लेकर अपनी पहचान बना चुका है.
आधुनिक खेती और परंपरागत ज्ञान की साझेदारी
भारतीय खेती शुरू से ही ऑर्गेनिक तरीकों पर निर्भर थी. हमारे पूर्वज खेती में खाद, गोबर और प्राकृतिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते थे. मगर समय के साथ बढ़ती मांग और लागत घटाने को लेकर किसानों ने कीटनाशक और रासायनिक खादों का उपयोग शुरू कर दिया. इस तरह से पैदावार को बढ़त लेकिन मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही थी. इससे पानी प्रदूषित हुआ. जैव विविधता भी घट गई. रिसर्च में पाया गया कि इस परंपरागत ज्ञान को आधुनिक खेती के साथ जोड़ने के लिए पतंजलि ने कई कदम उठाये.
ऑर्गेनिक खेती अपनाने में सबसे बड़ी रुकावट
पतंजलि ने किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाया. किसानों को सहयोग देने के लिए योजनाएं लागू कीं. किसानों को दोबारा प्राकृतिक खेती की ओर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया. किसानों को संसाधन और शिक्षा उपलब्ध कराना ऑर्गेनिक खेती अपनाने में सबसे बड़ी रुकावट है. कई किसानों को लगता है कि ऑर्गेनिक खेती महंगी है. इससे उनका मुनाफा घटेगा. एक रिसर्च के अनुसार, पतंजलि किसानों को प्राकृतिक खेती ही सही जानकारी देता रहा है. उन्हें यह बदलाव अपनाने में मदद करता है.
पलायन कम होने की संभावना है
किसानों को अलग-अलग तरह की खेती के लाभ और नुकसान के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है. किसानों को प्राकृतिक खाद, बीज और बायो-पेस्टीसाइड जैसे जरूरी साधन उपलब्ध कराए जाते हैं. पूरे देश में नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं. किसानों को मिट्टी की सेहत, फसल चक्र (crop rotation), जल संरक्षण और पेस्ट कंट्रोल जैसे विषयों पर शिक्षित किया जाता है. किसानों को उनकी उपज के उचित दाम दिलवाए जाते हैं ताकि वे इस पद्धति को जारी रखें. इसके साथ ही ऑर्गेनिक खेती के बढ़ते कार्यक्रमों ने गांवों में रोजगार भी बढ़ाया है. इससे ग्रामीण लोगों का शहरों की ओर पलायन कम होने की संभावना है.