भारत में जारी है गड्ढों का कहर, हर दिन होती हैं 6 मौतें

जब आप सड़कों पर बाइक या कार चला रहे होते हैं, तो अचानक उभरे गड्ढों का सामना ज़रूर करते होंगे. कई बार आप बाल-बाल बच भी गए होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये गड्ढे सड़कों पर राक्षस बनकर मुंह बाए खड़े रहते हैं?

जब आप सड़कों पर बाइक या कार चला रहे होते हैं, तो अचानक उभरे गड्ढों का सामना ज़रूर करते होंगे. कई बार आप बाल-बाल बच भी गए होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये गड्ढे सड़कों पर राक्षस बनकर मुंह बाए खड़े रहते हैं?

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Ravi Prashant
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गड्ढों का आतंक Photograph: (ANI)

पटना से लेकर देश के हर कोने तक सड़क पर गड्ढों की तस्वीरें आम हो गई हैं. लेकिन इन गड्ढों की असल कीमत जानलेवा है. Factly.in की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रोजाना औसतन 19 हादसे और 6 मौतें सिर्फ गड्ढों के कारण होती हैं. मौत की दर 2013 में 0.27 थी, जो 2022 में बढ़कर 0.42 हो गई. साल 2013-2022 के बीच 23,420 मौतें हुईं. 2022 में अकेले 4,446 हादसों में 1,856 मौतें दर्ज हुईं. 2018 से 2020 के बीच 5,626 मौतें (2018 में 2,015, 2019 में 2,140 और 2020 में 1,471). ये नंबर्स बताते हैं कि इन गड्ढों ने कितने घरों को तबाह किया है. 

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अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, सड़क हादसों की वजह से भारत को हर साल GDP का 3-5% नुकसान होता है. सरकार की अपनी रिपोर्ट भी मानती है कि सड़क हादसों से 3.14% GDP का नुकसान होता है. साथ ही वाहन मालिकों को भी बड़ा झटका लगता है. ऑटो इंडस्ट्री सर्वे बताता है कि हर साल 2.5 लाख गाड़ियां खराब सड़कों से क्षतिग्रस्त होती हैं. एक सेडान कार की रिपेयरिंग लागत 10,000 से 30,000 रुपये तक जाती है और गड्ढों से हुए नुकसान पर बीमा भी नहीं मिलता है. 

इन गड्ढों को लेकर अदालतों क्या है रुख? 

भारतीय न्यायपालिका ने इस समस्या को केवल “दुर्घटना” नहीं, बल्कि “सरकारी लापरवाही” मानता है. 

राजस्थान राज्य बनाम विद्यावती (SC): सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही से हुए नुकसान पर सरकार भी मुकदमे का सामना करेगी.

एस. राजशेखरन बनाम भारत संघ (SC): 2018 में कोर्ट ने साफ कहा कि खराब सड़कें सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं और नगर निकायों को फटकार लगाई.

बॉम्बे हाई कोर्ट (2015): माना कि सही सड़क का अधिकार, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. खराब सड़कों से हुई मौतों पर नागरिक मुआवज़े के हकदार हैं.

मुस्ताक हुसैन कादरी बनाम गुजरात राज्य (HC): गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि नगर निगम की जिम्मेदारी है कि गुणवत्तापूर्ण सड़कें बनाए, कॉन्ट्रैक्टरों की निगरानी करे और मानसून से पहले व बाद में नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करे. 

आखिर कब सुधरेगी सड़कें?

हर साल हजारों मौतें, अरबों का आर्थिक नुकसान और न्यायपालिका की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद, सड़कों की हालत जस की तस है. भारत में रोड एक्सीडेंट गंभीर समस्या है. देश में औसतन लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. साल 2023 में ही लगभग 4.8 लाख सड़क हादसे हुए, जिनमें 1.72 लाख लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं. 

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