'कब तक बांटेंगे फ्री की रेवड़ी, रोजगार के अवसर क्यों पैदा नहीं करती सरकार', सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Supreme Court's comment on freebies: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों द्वारा चलाई जा रही फ्री की योजनाओं पर सोमवार को सख्त टिप्पणी की. एससी ने पूरा कि मुफ्त की रेवड़ी कर तक बांटी जाती रहेंगी.

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Suhel Khan
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Supreme Court on freebies

सुप्रीम कोर्ट की मुफ्तखोरी पर तीखी टिप्पणी (File Photo)

Supreme Court's comment on freebies: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों की ओर से चलाई जा रही तमाम मुफ्त की योजनाओं पर सख्त टिप्पणी की. शीर्ष कोर्ट ने पूछा कि फ्री की रेवड़ी कत तक बांटी जाती रहेंगी. इसके साथ ही एससी ने कहा कि सरकार रोजगार पैदा करने पर भी ध्यान देना चाहिए. ये बातें सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहीं. कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद से मुफ्त राशन लेने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर बनाने की जरूरत है.

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सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस वक्त हैरानी जताई जब केंद्र ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि 81 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मुफ्त या सब्सिडी के तहत राशन दिया जा रहा है. इसपर एससी की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि, 'इसका मतलब है कि केवल टैक्सपेयर्स ही बाकी हैं.'

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रोजगार को लेकर भी बोला एससी

वहीं एनजीओ की ओर से दायर एक मामले में पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन प्रवासी मजदूरों को फ्री राशन मिलना चाहिए, जो "ई-श्रमिक" पोर्टल पर पंजीकृत हैं. इसके बाद बेंच ने कहा कि, 'कब तक फ्रीबीज दिए जाएंगे?' इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'क्यों न हम इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर, रोजगार और क्षमता निर्माण पर काम करें?'

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वही वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि, अदालत ने समय-समय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड जारी किया जाए, जिससे उन्हें केंद्र द्वारा प्रदान किए गए मुफ्त राशन का लाभ मिल सके. वकील भूषण ने कहा कि कोर्ट के हाल ही में दिए गए आदेश में कहा गया है कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, लेकिन वे ई-श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत हैं, उन्हें केंद्र द्वारा मुफ्त राशन का लाभ दिया जाना चाहिए.

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क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि, यह तो समस्या है जैसे ही हम राज्यों को सभी प्रवासी मजदूरों को राशन देने को कहेंगे तो कोई यहां दिखाई नहीं देगा और सभी भाग जाएंगे. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि राज्यों को यह पता है कि यह जिम्मेदारी केंद्र की है, इसीलिए वे राशन कार्ड जारी कर सकते हैं.

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