India Pakistan Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को सीजफायर की घोषणा के बावजूद सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. पाकिस्तान की ओर से लगातार ड्रोन गतिविधियों की खबरें सामने आ रही हैं, जिन्हें भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने समय रहते निष्प्रभावी कर दिया. इन घटनाओं में खास बात यह रही कि कई ड्रोन पाकिस्तान को तुर्किये से मिले थे, जिसने एक बार फिर भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है. हालांकि भारत अपने अंदाज में पाकिस्तान और तुर्किये की दोस्ती को करारा जवाब दे रहा है.
तुर्किये-पाकिस्तान की जुगलबंदी
तुर्किये और पाकिस्तान केवल रणनीतिक साझेदार ही नहीं, बल्कि इस्लामिक दुनिया में एक समान वैचारिक नेतृत्व की आकांक्षा भी साझा करते हैं. राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोगन की मुस्लिम उम्माह की अगुवाई की महत्वाकांक्षा और पाकिस्तान का कट्टरपंथी झुकाव दोनों देशों को एक-दूसरे के करीब लाता है. हाल ही में तुर्की के C-130 हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट्स के पाकिस्तान में हथियार पहुंचाने की खबरें इसी रिश्ते की पुष्टि करती हैं.
हालांकि तुर्की सरकार ने इन खबरों का खंडन किया, लेकिन संदिग्ध गतिविधियों के समय ने कई सवाल खड़े किए हैं.
कश्मीर पर तुर्किये का पाक को समर्थन, भारत ने जताया विरोध
तुर्किये ने कई बार खुले मंचों पर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान से हाथ मिलाए खड़ा दिखा है. फरवरी 2024 में राष्ट्रपति एर्दोगन की ओर से दिए गए बयान, जिसमें उन्होंने "कश्मीरियों के साथ खड़े होने" की बात कही, भारत के लिए असहज करने वाला था. भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए नई दिल्ली स्थित तुर्कीये के राजदूत को तलब कर अपना विरोध दर्ज कराया. इससे साफ है कि तुर्की, भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता को चुनौती देने में परोक्ष रूप से पाकिस्तान के साथ खड़ा है.
आंकड़े भी दे रहे गवाही
- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 2015-2019 और 2020-2024 के बीच तुर्किये के हथियारों के निर्यात में 103 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई.
- वहीं लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की मानें तो 2020 तक तुर्किये पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना. हालांकि चीन भी पाक को भरपूर हथियार मुहैया करवा रहा है.
भारत का रणनीतिक पलटवार
भारत ने तुर्की और पाकिस्तान के इस गठजोड़ का जवाब राजनयिक और सामरिक दोनों स्तरों पर देना शुरू कर दिया है. दक्षिण यूरोप में भारत ने ग्रीस और साइप्रस के साथ रक्षा और व्यापारिक संबंधों को मजबूती दी है. ग्रीस ने खुले तौर पर कश्मीर पर भारत के रुख का समर्थन किया है, जो एक रणनीतिक संदेश है.
इसके अलावा, दक्षिण काकेशस क्षेत्र में भारत ने अर्मेनिया के साथ सैन्य सहयोग को मजबूत किया है. भारत अर्मेनिया को उन्नत हथियार प्रणालियां, रॉकेट सिस्टम और रडार मुहैया करा रहा है. यह सहयोग तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब अर्मेनिया अजरबैजान के साथ संघर्ष में उलझा हुआ है और अजरबैजान को तुर्किये और पाकिस्तान का समर्थन मिला हुआ है.
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