पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने जब पाकिस्तान आर्मी की कमर तोड़ दी तो जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका से मदद मांगी. अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप कई बार यह बात बोल चुके हैं कि उन्होंने एक परमाणु युद्ध को रोकने में मदद की है. लेकिन भारत के पीएम मोदी ने भी यह साफ किया कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग अब नहीं चलेगी और बात साफ भी है. क्योंकि भारत खुद एक न्यूक्लियर पावर वाला मुल्क है और भारत को यह रुतबा कई दशक पहले हासिल हो चुका है. दरअसल परमाणु हथियार एक ओर जहां खौफनाक तबाही की वजह बन सकते हैं तो वहीं दूसरी ओर यह किसी भी मुल्क को एक तरह से सुरक्षा की गारंटी भी देते हैं.
चीन और पाकिस्तान जैसे दो ताकतवर दुश्मन देशों से घिरे भारत के पास भी अच्छी खासी संख्या में परमाणु हथियार मौजूद हैं. भारत के परमाणु हथियारों की नींव तब पड़ी थी जब 51 साल पहले भारत के पीएम इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पहला परमाणु परीक्षण किया गया था. वो साल 1974 में 18 मई का दिन था जब भारत ने पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था. भारत के इस न्यूक्लियर टेस्ट की कहानी ऐसी है, जिसने अमेरिका समेत पूरी दुनिया को चौंका दिया था. दरअसल 1945 में जब दूसरा वर्ल्ड वॉर खत्म हुआ और उस दौरान अमेरिका ने जापान के शहरों पर परमाणु बम गिराकर एक ऐसे विध्वंसक हथियार को दुनिया के सामने रखा था जिसके विनाश से बचना नामुमकिन है.