भारत ने 22 अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले का जवाब 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए दिया. यह ऑपरेशन न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ एक कड़ा मैसेज था, बल्कि भारत की बढ़ती तकनीकी आत्मनिर्भरता और सैन्य क्षमता का प्रतीक भी बना.
बिना सीमा पार किए सटीक हमले
भारत ने इस ऑपरेशन में एलओसी या अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए बिना, आतंकियों के ठिकानों पर सटीक हमले किए. इन अटैक में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए. ये हमले अत्याधुनिक हाई-टेक भारतीय हथियारों और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के माध्यम से अंजाम दिए गए.
फर्स्ट लाइन में एयर फोर्स रहा तैनात
7-8 मई की रात पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर, पंजाब और गुजरात के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की गई. इनमें श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और भुज जैसे शहर शामिल थे. भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम और इंटीग्रेटेड काउंटर यूएएस ग्रिड ने इन सभी हमलों को विफल कर दिया. जवाबी कार्रवाई में, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के लाहौर समेत कई एयर डिफेंस रडारों को ध्वस्त कर दिया.
इस मेजर सिस्टम में लेटेस्ट हथियारों का यूज किया गया.
- पचोरा और ओसा-एके सिस्टम
- एलएलएडी गन (कम ऊंचाई वाली हवाई सुरक्षा)
- स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम
- सटीक और योजनाबद्ध हवाई हमले
ऐसे नूर खान बेस और रहिमयार को किया तबाह
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के नूर खान और रहिमयार खान एयरबेस पर आधुनिक लूटेरिंग म्यूनिशन के माध्यम से हमला किया. इन ड्रोन आधारित हमलों में दुश्मन के ठिकानों की पहचान कर उन पर सटीक निशाना साधा गया. महज 23 मिनट में मिशन पूरा हुआ, और कोई भारतीय नुकसान नहीं हुआ.
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर यूनिट ने दुश्मन के चीनी सिस्टम को जाम कर दिया, जिससे उसे प्रतिक्रिया देने का मौका तक नहीं मिला. इस ऑपरेशन भारत ने चीन और तुर्किए हथियार नष्ट किए. भारतीय सेना द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन के बाद निम्न हथियार बरामद किए गए. भारत की एयर डिफेंस और इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली ने इन सभी को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया.
- चीनी PL-15 मिसाइल के अवशेष
- तुर्की निर्मित Yiha/YEEHAW UAVs
- लंबी दूरी के रॉकेट और क्वाडकॉप्टर
'सिंदूर ऑपरेशन' थलसेना और वायुसेना का तालमेल
12 मई को DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि सेना की पुरानी और नई दोनों प्रणालियों ने मिलकर दुश्मन की जवाबी कार्रवाई को नाकाम किया. भारत की बहुस्तरीय रक्षा प्रणाली में शामिल थे.
- MANPADS (कंधे पर चलाए जाने वाले हथियार)
- लेगेसी और आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम
- इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर तकनीक
- इनके तालमेल से भारत के एयरबेस और नागरिक ठिकानों को कोई क्षति नहीं हुई.
ISRO ने निभाई बड़ी भूमिका
ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि इस ऑपरेशन में 10 उपग्रहों ने लगातार निगरानी का कार्य किया. भारत की उत्तरी और समुद्री सीमाओं पर चौकसी ड्रोन व सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के बिना संभव नहीं होती.
ड्रोन टेक्नोलॉजी में भारत की छलांग
भारत में अब 550 से ज्यादा ड्रोन निर्माता कंपनियां और 5,500 पायलट Drone Federation of India (DFI) से जुड़े हैं. भारत 2030 तक विश्व का सबसे बड़ा ड्रोन हब बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
प्रमुख भारतीय ड्रोन कंपनियां
- Alpha Design Technologies – इजरायली सहयोग के साथ
- Tata Advanced Systems – अनुभवी रक्षा निर्माता
- Paras Defence – स्वदेशी तकनीक
- IG Drones – सेना व राज्य सरकारों के साथ कार्यरत
- ड्रोन उद्योग का आकार 2030 तक $11 बिलियन तक पहुंच सकता है
आत्मनिर्भर भारत और रक्षा उत्पादन में आत्मबल
मेक इन इंडिया और डिफेंस एक्सपोर्ट पॉलिसी के तहत भारत ने FY 2023-24 में ₹1.27 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन किया, जबकि FY 2024-25 में निर्यात ₹23,622 करोड़ तक पहुंच गया.
प्रमुख स्वदेशी प्रणालियां
- धनुष तोप, अर्जुन टैंक
- तेजस फाइटर जेट, प्रचंड हेलिकॉप्टर
- आकाश मिसाइल, स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर
ऑपरेशन सिंदूर एक सैन्य प्रतिक्रिया से कहीं अधिक था. यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, रणनीतिक सोच और संगठित बलों के तालमेल की मिसाल बनकर उभरा. भारत अब केवल युद्ध नहीं लड़ता, वह युद्ध की परिभाषा को तकनीक से दोबारा गढ़ता है.