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दिल्ली बम धमाका Photograph: (ani)
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके का संदिग्ध डॉ. उमर-उन-नबी अब भारत में बढ़ते उस खतरनाक ट्रेंड का चेहरा बन गया है, जहां कट्टरपंथ इंटरनेट से शुरू होकर आतंकी कार्रवाई में खत्म होता है. खुफिया एजेंसियों के अनुसार, उमर की जड़ें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़ी ऑनलाइन विचारधाराओं तक जाती हैं.
यहीं शुरू हुआ ब्रेनवॉश
जांच से पता चला है कि साल 2018-19 के बीच उमर ने टेलीग्राम चैनल्स और एन्क्रिप्टेड फोरम्स पर जेएम से जुड़े कंटेंट के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना शुरू किया. यहीं से उसका ब्रेनवॉश होना शुरू हुआ. वह अक्सर “ग़ज़वा-ए-हिंद” जैसे कट्टर इस्लामी युद्ध की व्याख्या साझा करता था, जिसमें भारत को अंतिम युद्धभूमि के रूप में पेश किया जाता है.
दिल्ली बनेगा अत्याचार का नर्व सेंटर
सूत्र बताते हैं कि उमर अक्सर पाकिस्तानी मौलवियों जैसे मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर और मसूद अज़हर के उपदेशों का हवाला देता था. धीरे-धीरे यह वैचारिक प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर पूरी तरह हावी हो गया. 2023 तक आते-आते वह अपने छोटे आतंकी नेटवर्क में सबसे कट्टर और सक्रिय सदस्य बन चुका था. चर्चाओं में वह बार-बार कहता था कि “दिल्ली अत्याचार का नर्व सेंटर है” और अगर कोई ‘शहादत’ यहीं दे तो उसका असर पूरी दुनिया में जाएगा.
17 टेलीग्राम चैलन बनाया था उमर
उमर की प्रेरणा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भी थी. उसके गिरफ्तार साथियों ने बताया कि वह “शब्दों से नहीं, अपने काम से प्रेरणा देना चाहता था.” इसी सोच के चलते उसने फिदायीन-स्टाइल हमले के लिए खुद को तैयार किया.
डिजिटल फॉरेंसिक जांच में यह भी सामने आया है कि उमर तकनीकी रूप से काफी सक्षम था. उसने पिछले कुछ वर्षों में 17 टेलीग्राम चैनल बनाए और मिटाए, पांच अलग-अलग वर्चुअल नंबरों से ऑपरेट करता था, जो VPN और VoIP के ज़रिए नेपाल और तुर्की से रजिस्टर्ड थे. हैंडलर अफगानिस्तान से उसे दिशा-निर्देश भेजते थे. यह नेटवर्क सीमापार साजिश की ओर इशारा करता है.
खुद को नहीं मारना चाहता था उमर
जब फरीदाबाद मॉड्यूल के साथी पकड़े गए, तो उमर को एहसास हुआ कि उसका नाम भी सामने आने वाला है. घबराकर उसने प्लान तेज़ कर दिया और दिल्ली को निशाना बनाया. जांचकर्ताओं के मुताबिक, वह खुद को उड़ाने का इरादा नहीं रखता था, बल्कि रिमोट से विस्फोट करना चाहता था. लेकिन तकनीकी गलती से बम प्रीमेच्योर फट गया और वह मौके पर मारा गया. उमर की कहानी बताती है कि आज का आतंक सिर्फ बंदूकों से नहीं, बल्कि इंटरनेट और विचारधारा के ज़रिए भी पलता है, जहां जिहाद की शुरुआत स्मार्टफोन स्क्रीन से होती है.
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