Balochistan : भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने अभी पाकिस्तान को गहरा जख्म दिया ही था कि अब उसके सबसे बड़े राज्य बलूचिस्तान ने भी उसकी नींद उड़ा दी. बलूचिस्तान ने पाकिस्तान से अलग होने की घोषणा की है. अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के फिर से टुकड़े हो जाएंगे और दुनिया के नक्शे में बांग्लादेश की तरह बलूचिस्तान भी एक नए मुल्क के रूप में उभर कर आएगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बलूचिस्तान का पाकिस्तान से अलग होकर नए मुल्क के रूप में पहचान बनाना इतना आसान होगा या फिर उसको स्वतंत्र होने के लिए कुछ और भी करना होगा.
विश्व समुदाय से समर्थन की मांग
दरअसल, बलूच नेता मीर यार ने अपने यहां पाकिस्तान सरकार की तरफ से लोगों पर किए जा रहे अत्याचार (हिंसा, अपहरण, मानवाधिकार उल्लंघन) का हवाला देते हुए पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी का औपचारिक ऐलान कर दिया है. इसके अलावा बलूच नेता ने विश्व समुदाय से समर्थन की अपील की है. यही नहीं, उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि दिल्ली में बलूच दूतावास भी खोला जाए. बलूच नेता ने सयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान करने की मांग भी की है और करेंसी व पासपोर्ट के लिए अरबो रुपए का फंड मांगा है.
कितना आसान है अलग देश बनना
बलूच नेता मीर यार भले ही बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग होकर आजाद देश बनाने का दावा कर रहे हों, लेकिन क्या बलूचिस्तान को नया मुल्क बनाना इतना आसान है. क्योंकि दुनिया में आज भी ऐसे कई मुल्क हैं, जिन्होंने अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर रखा है, लेकिन वो आज तक अलग देश नहीं बन पाए हैं. ऐसे देशों में पूर्वी अफ्रीका के सोमालीलैंड का उदाहरण देखा जा सकता है. सोमालीलैंड ने 1991 में सोमालिया से अलग होगा स्वतंत्र देश बनने की घोषणा की थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक इसको अलग देश की मान्यता नहीं दी है.
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत
बलूचिस्तान की बात करें तो यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और देश का 44 प्रतिशत हिस्सा है. ऐसे में पाकिस्तान बिल्कुल नहीं चाहेगा कि बलूचिस्तान कभी कोई अलग मुल्क बने. अलग देश बनने के लिए बलूचिस्तान को संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की बड़ी शक्तियों (अमेरिका, चीन, रसिया और यूरोप ) की जरूरत पड़ेगी. क्योंकि अगर जब तक संयुक्त राष्ट्र किसी देश को अलग राष्ट्र की मान्यता नहीं देता तब तक उसको स्वतंत्र राष्ट्र नहीं माना जा सकता. इसके अलावा जब तक किसी देश को अलग देश की मान्यता नहीं मिलती तब तक वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष या संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं से मदद नहीं ले सकता.
क्या है अलग देश बनने की प्रक्रिया-
- सबसे पहले नए देश की मान्यता के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव को आवेदन भेजना.
-संयुक्त राष्ट्र को आवेदन मिलने के बाद यह सुरक्षा परिषद के पास भेजा जाता है.
- सुरक्षा परिषद में 15 मेंबर्स में से कम से कम 9 देशों का समर्थन जरूरी.
-अगर पांच स्थाई सदस्यों (चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और अमेरिका) में से कोई विरोध में वोट करता है तो आवेदन कैंसिल माना जाएगा.