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गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो) Photograph: (ani)
लद्दाख के प्रशासनिक ढांचे में केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए स्थानीय स्तर पर दी गई कई वित्तीय शक्तियां वापस ले ली है. नए आदेश के बाद अब योजनाओं और परियोजनाओं की मंजूरी का बड़ा अधिकार सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास चला गया है.
गृह मंत्रालय कर पाएगा अब ये काम
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, अब 100 करोड़ रुपये तक की किसी भी नई योजना या प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का अधिकार स्वयं मंत्रालय के पास होगा. पहले यह शक्ति लद्दाख के उपराज्यपाल के पास थी. इसके साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी की 20 करोड़ रुपये तक की फाइनेंशियल पावर भी वापस लेकर मंत्रालय को सौंप दी गई है.
अब कई प्रोजेक्ट्स को नहीं दे पाएंगे मंजूरी
इसके अलावा, चीफ इंजीनियर, विभागाध्यक्ष, डिप्टी कमिश्नर और सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर जैसे अधिकारियों की 3 करोड़ से लेकर 10 करोड़ रुपये तक की डेलीगेटेड फाइनेंशियल पावर भी रद्द कर दी गई है. यानी अब वे अपने स्तर पर इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी नहीं दे सकेंगे.
ये भी पावर गृह विभाग के पास गई
सबसे अहम फैसला विकास से जुड़े विभागों पर लागू हुआ है. डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के हेड और डिप्टी कमिश्नरों को 5 करोड़ रुपये तक के अलग-अलग कार्यों को मंजूरी देने की शक्ति दी गई थी. अब यह पावर भी वापस ले ली गई है और यह भी MHA के पास चली गई है.
लेह काउंसिल का 5 साल पूरा
प्रशासनिक ढांचे में बदलाव की एक बड़ी वजह लेह और कारगिल हिल डेवलपमेंट काउंसिल की स्थिति भी मानी जा रही है. लेह हिल काउंसिल ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है और चुनाव में देरी के चलते फिलहाल अस्तित्व में नहीं है. इसकी शक्तियां अस्थायी रूप से डिप्टी कमिश्नर लेह को दी गई थीं. दूसरी ओर, कारगिल हिल काउंसिल अभी भी काम कर रही है.
नए आदेश में और क्या है?
नए आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अब सभी नए प्रोजेक्ट्स और योजनाओं के प्रपोजल प्लानिंग, डेवलपमेंट एंड मॉनिटरिंग डिपार्टमेंट के माध्यम से गृह मंत्रालय को भेजे जाएंगे. मंत्रालय इन प्रोजेक्ट्स की अप्रेजल और अप्रूवल प्रक्रिया खुद संभालेगा.
चल रहे प्रोजेक्ट्स पर राहत
हालांकि चल रही परियोजनाओं को लेकर सरकार ने राहत दी है. जिन कार्यों को पहले ही प्रशासनिक मंजूरी मिल गई है या जिनके टेंडर जारी हो चुके हैं, वे पहले की शक्तियों के अनुसार ही आगे बढ़ते रहेंगे.
नए नियमों के मुताबिक, लद्दाख के उपराज्यपाल के पास बजटीय सीमा में आकस्मिक खर्च की अनुमति बनी रहेगी. वहीं चीफ सेक्रेटरी को 1 करोड़, फाइनेंस सेक्रेटरी को 75 लाख, एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी को 50 लाख और विभागाध्यक्ष (HoD) को 30 लाख रुपये तक के खर्च की शक्ति दी गई है.
यह बदलाव केंद्र के सीधे नियंत्रण को मजबूत करता है और लद्दाख में प्रशासनिक फैसलों को अधिक केंद्रीकृत बनाता है.
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