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चुनाव से पहले केरल में प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक मोर्चे के अपने-अपने दावे

चुनाव से पहले केरल में प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक मोर्चे के अपने-अपने दावे

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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केरल में लोकसभा चुनाव में महज एक सप्ताह का समय रह गया है। यहां तीनों राजनीतिक मोर्चे काफी उत्साहित हैं। सभी को उम्मीद है कि वह 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को 47.48 प्रतिशत वोट और 19 सीटें मिली थी, जबकि सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले वामपंथ को 36.29 प्रतिशत वोट और सिर्फ एक सीट मिली। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 15.64 प्रतिशत वोट मिला और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तिरुवनंतपुरम में रहा जहां वो दूसरे स्थान पर रही।

अगर यूडीएफ इस बार पिछली बार से बेहतर करना चाहती है तो उसे सभी 20 सीटें जीतनी होंगी।

कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष एम.एम. हसन इस बार क्लीन स्वीप की उम्मीद कर रहे हैं।

हसन ने कहा, “मतदाता जानते हैं कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली भ्रष्ट सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पूरी तरह से विफल है। इसलिए, हम क्लीन स्वीप को लेकर आश्वस्त हैं।

यूडीएफ सीएम विजयन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर और मोदी सरकार की नीतियों को लेकर आश्वस्त है कि वो इस बार पहले से अच्छा प्रदर्शन करेगी।

उधर सीएम विजयन, जो 14 जिलों के तूफानी दौरे पर हैं, आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।

विजयन ने कहा, 2019 के चुनावों की तुलना में इस बार हम अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं और यही हम अनुमान लगा सकते हैं। कांग्रेस सीएए के मुद्दे पर चुप है और इससे पता चलता है कि वे लोग संघ परिवार की ताकतों से जुड़े हुए हैं।”

मुख्यमंत्री को लगता है कि 24 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता अब तक यह समझ चुके हैं कि केवल वामपंथियों पर ही भरोसा किया जा सकता है और कांग्रेस को वोट देने का मतलब अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को वोट देना है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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