कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजशेखर मंथा की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस विभाग को दोहरा झटका देते हुए आदेश दिए।
एक ओर, बेंच ने 29 नवंबर को मध्य कोलकाता में भाजपा की मेगा रैली के लिए कोलकाता पुलिस की अनुमति से इनकार करने पर सवाल उठाए।
दूसरी ओर, इसी बेंच ने सोमवार दोपहर को यह भी फैसला सुनाया कि पश्चिम बंगाल पुलिस को सीपीआई (एम) की पांच सदस्यीय टीम को राहत सामग्री के साथ दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर में दोलुयाखाकी गांव तक पहुंचने की अनुमति देनी होगी।
राहत सामग्री उन 16 सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं के परिवारों के लिए थी, जिनके घरों को 13 नवंबर को उसी सुबह स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता सैफुद्दीन लस्कर की हत्या के प्रतिशोध में आग लगा दी गई थी।
जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस हर साल 21 जुलाई को अपनी वार्षिक शहीद दिवस रैली आयोजित करती है, उसी स्थान पर भाजपा को 29 नवंबर को मध्य कोलकाता में रैली आयोजित करने की अनुमति देते हुए पीठ ने कहा कि एक स्वतंत्र देश में किसी को भी कहीं भी जाने की आजादी है।
पीठ ने इसके लिए पुलिस की अनुमति से इनकार के औचित्य पर भी सवाल उठाए।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि हालांकि पुलिस रैली आयोजित करने के लिए कुछ शर्तें लगा सकती है, लेकिन वह इनकार के लिए कोई वैध कारण बताए, बिना अनुमति देने से इनकार नहीं कर सकती।
रैली का आयोजन मनरेगा के तहत केंद्र प्रायोजित 100 दिन की नौकरी योजना को लागू करने में राज्य सरकार द्वारा कथित अनियमितताओं को उजागर करने के लिए किया गया है।
पार्टी ने रैली के लिए शाह के अलावा केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री गिरिराज सिंह और राज्य मंत्री निरंजन ज्योति को भी आमंत्रित किया है।
इस बीच न्यायमूर्ति मंथा की पीठ ने राहत वितरण के उद्देश्य से सीपीआई (एम) की पांच सदस्यीय टीम को जयनगर जाने की अनुमति देते हुए इसके लिए कुछ शर्तें भी तय की।
आदेश के मुताबिक पांच सदस्यीय टीम उस स्थान पर कोई राजनीतिक तख्ती नहीं ले जा सकेगी, कोई राजनीतिक नारा नहीं लगा सकेगी या कोई राजनीतिक रैली नहीं कर सकेगी। इस मामले पर मंगलवार को विस्तृत सुनवाई होगी।
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Source : IANS